लीची में पानी की काफी मात्रा होती है। यह विटामिन सी, पोटेशियम और नेचुरल शुगर का भी अच्छा सोर्स है। इसका सेवन शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित रखता है, जिससे शरीर और पेट को ठंडक मिलती है। पाचन क्रिया सही रखने के साथ ही मस्तिष्क के विकास में भी इसकी बड़ी भूमिका है। ऐसे में आइए जानते हैं लीची के इन 8 बड़े फायदों के बारे में
अच्छा होगा डाइजेशन: लीची में मौजूद विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया के लिए जरूरी है। इससे बीटा कैरोटीन को जिगर और दूसरे अंगों में संग्रहीत करने में मदद मिलती है। फोलेट हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखता है। इससे हमारा तंत्रिका तंत्र स्वस्थ रहता है।
सेहत का खजाना: लीची को बतौर फल ही नहीं खाया जाता, इसका जूस और शेक भी बहुत पसंद किया जाता है। जैम, जैली, मार्मलेड, सलाद और व्यंजनों की गार्निशिंग के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है। छोटी-सी लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे काफी फायदेमंद बना देते हैं।
इम्यूनिटी बढ़ाती है: लीची एक अच्छा ऐंटीऑक्सिडेंट भी है। इसमें मौजूद विटामिन सी हमारे शरीर में रक्त कोशिकाओं के निर्माण और लोहे के अवशोषण में भी मदद करता है, जो एक प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने के लिए जरूरी है। रक्त कोशिकाओं के निर्माण और पाचन-प्रक्रिया में सहायक लीची में बीटा कैरोटीन, राइबोफ्लेबिन, नियासिन और फोलेट काफी मात्रा में पाया जाता है।
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शीतपित्त के लिए ओटमील से नहाएं
सामग्री –
- ठंडा पानी।
- दो या तीन कप ओटमील।
विधि –
- सबसे पहले एक बाल्टी या बाथ टब लें।
- अब उसमे ठंडा पानी डालें।
- डालने के बाद अब उसमे ओटमील मिला दें।
- फिर उसमे प्रभावित क्षेत्र को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें।
ओटमील का इस्तेमाल कब तक करें –
खुजली से राहत पाने के लिए इस प्रक्रिया को रोज़ाना करें।
ओटमील के फायदे –
ठंडा पानी आपको राहत देगा और त्वचा के छिद्रों को सिकोड़कर असहजता को कम करेगा। इसमें सूजनरोधी गुण भी होते हैं। ओटमील में स्टार्च और बीटा-ग्लूकन्स पाया जाता है जो त्वचा को किसी भी संक्रमण से सुरक्षित रखता है। इसमें फेनोल्स भी होते हैं जिनमे एन्टिओक्सीडेटिव और सूजनरोधी प्रभाव भी मौजूद होते हैं।
पित्ती का घरेलू नुस्खा है बेकिंग सोडा
सामग्री –
- बेकिंग सोडा (जितनी ज़रूरत हो उतना)।
- पानी।
विधि –
- एक पेस्ट तैयार करने के लिए सबसे पहले पानी में बेकिंग सोडा मिला दें।
- अब इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
- सूखने तक का इंतज़ार।
- कुछ देर बाद पानी से त्वचा को धो लें।
बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कब तक करें –
इस प्रक्रिया को पूरे दिन में दो बार ज़रूर इस्तेमाल करें।
बेकिंग सोडा के फायदे –
बेकिंग सोडा में मौजूद एल्कलाइन त्वचा को राहत दिलाता है और खुजली या इरिटेशन को दूर करता है। इसका इस्तेमाल कुछ दिनों तक करने से खुजली और अन्य समस्याएं कम होती नज़र आएंगी।
अर्टिकेरिया होने पर करना चाहिए एलोवेरा का उपयोग
सामग्री –
ताज़ा एलो वेरा जेल।
विधि –
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- सबसे पहले एलो वेरा की पत्ती से जेल निकालें और फिर उसे प्रभावित क्षेत्र पर लगा लें।
- अब इसे 20 से 30 मिनट तक ऐसे ही लगाकर रखें।
- फिर त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।
एलो वेरा का इस्तेमाल कब तक करें –
अच्छा परिणाम पाने के लिए आप एलो वेरा जेल का इस्तेमाल पूरे दिन में दो बार करें।
एलो वेरा के फायदे –
एलो वेरा में ग्लुकोमननांस (glucomannans) पाया जाता है जो इन समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है। इसमें मॉइचराइज़िंग और सूजनरोधी गुण भी मौजूद होते हैं। एलो वेरा जेल पित्ती के लिए बहुत ही प्रभावी घरेलू उपाय है।
शीत पित्त निकलने पर करें जड़ी-बूटियां का उपयोग
पहली सामग्री –
डेविल क्लो कैप्सूल्स या टेबलेट।
विधि –
- पित्ती से राहत पाने के लिए रोज़ाना 500 मिलीग्राम डेविल क्लो के हर्ब कैप्सूल्स लेने से पित्ती के लक्षणों को रोकने में मदद मिलेगी।
- डेविल क्लो का इस्तेमाल कब तक करें –
- जब तक आपको इस समस्या से राहत न मिल जाए तब इन हर्बल कैप्सूल्स को लेते रहें।
डेविल क्लो के फायदे –
डेविल क्लो का इस्तेमाल आमतौर पर एलर्जी रिएक्शन के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद हरपागोसाइड (Harpagoside) सामग्री पित्ती का इलाज करने में मदद करती है। इसमें सूजनरोधी गुण भी मौजूद होते हैं।
दूसरी सामग्री –
- एक चम्मच हल्दी पाउडर।
- एक ग्लास पानी।
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विधि –
- सबसे पहले हल्दी पाउडर को पानी में डाल लें और फिर इसे पी जाएँ।
- पूरे दिन में दो बार इस मिश्रण को पियें।
- आप इसका पेस्ट भी तैयार कर सकते हैं और फिर इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते हैं।
हल्दी का इस्तेमाल कब तक करें –
इस प्रक्रिया को पूरे दिन में दो बार ज़रूर लगाएं।
हल्दी के फायदे –
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक बहुत ही फायदेमंद बायोएक्टिव कम्पोनेंट है। हल्दी में सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीहिस्टामिन गुण होते हैं। पित्ती के लिए ये एक बहुत ही बेहतरीन घरेलू उपाय है।
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