स्ट्रेस या तनाव होना सामान्य बात है। ये तब महसूस होता है जब किसी स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाता है। टेंशन होने पर एड्रेनालाईन हमारे पूरे शरीर में दौड़ने लगता है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है और मानसिक और शारीरिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। हमें पसीना आता है, सनसनी महसूस होती है और कई बार पूरे शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं।
अगर तनाव लंबे वक्त तक रहे तो ये हमारे इम्यून सिस्टम और हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा बाहरी बीमारियों से निपटने की हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है।
इसका मतलब साफ है कि तनाव उस वक्त और ज्यादा खतरनाक हो जाता है जब आपको हर पांच मिनट में करो या मरो की स्थिति में जाना पड़े। क्या इस स्थिति से निपटने का कोई आसान और स्वस्थ तरीका हो सकता है? ये काम हम कैसे कर सकते हैं? अगर हम ये पता लगा सकें कि जो हम महसूस कर रहे हैं उसका कारण क्या है? तो हम मुश्किलों से और अधिक स्मार्ट तरीके से निपट सकते हैं।
तनाव को समझना क्यों जरूरी है?
तनाव के कारण कई गंभीर मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। भारत में हर चार में से एक इंसान हर साल टेंशन की समस्या की चपेट में आ जाता है। यही वो कारण है जिसकी वजह से कई बार हम लोग काम करते हुए भी लंबे वक्त तक काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। अगर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लंबे वक्त तक अनदेखा किया जाए जो ये गंभीर समस्या में बदल सकता है। देश में टेंशन और डिप्रेशन का इलाज करवाने वाले मरीजों में से तीन चौथाई महिलाएं हैं। लेकिन जो तीन चौथाई लोग टेंशन और डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर लेते हैं वह पुरुष हैं। चूंकि डिप्रेशन और टेंशन ही सुसाइड के मामलों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं इसलिए इसके इलाज के महत्व की जरुरत को आसानी से समझा जा सकता है।
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आजकल होने वाले तनाव के कुछ सामान्य कारण निम्नलिखित हैं। जैसे –
- सेक्स और सेक्स से जुड़ी समस्याएं
- नशाखोरी और ड्रिंक करना
- बुरी आदतों का शिकार होना
- हिंसा या बुरे व्यवहार का शिकार होना
- काम
- बेरोजगारी
- पैसा
- अलगाव और कुछ अन्य कारण जैसे घर छोड़ना
- पार्टनर से ब्रेकअप
- नौकरी में बदलाव होना
- बच्चों का घर छोड़ना
- आपका स्वास्थ्य और मूड
- मौसम
- पार्टनर का निधन होना या करीब न होना
- तलाक के कारण परिवार टूट जाना
थोड़ी देर के लिए जीवन में उतार-चढ़ाव आना बहुत आम बात है लेकिन अगर ये लंबे वक्त तक बनी रहे जो ये जिंदगी से जुड़ी बाकी चीजों को भी खराब कर सकती है। वैसे भी तनाव इसलिए कभी नहीं होता क्योंकि आप कमजोर हैं बल्कि हमेशा इसलिए होता है कि आप उसकी मौजूदगी होने के बाद भी टेंशन को रहने दे रहे हैं और उसका विरोध नहीं कर रहे हैं।
तनाव होने पर हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से देखने की कोशिश करनी चाहिए। कुछ मामलों में हो सकता है कि आपको फ्रेश स्टार्ट की भी जरुरत पड़े। लेकिन अगर आप लगातार नौकरियां, पार्टनर या घर बदल रहे हैं तो ऐसे हालात में आपको हालात नहीं बल्कि खुद को बदलने की जरुरत है।
अगर आप वाकई टेंशन से उबरने में मुश्किल महसूस कर रहे हों तो बेहतर है कि बिना देर किए डॉक्टर के पास जाएं। मनोचिकित्सक वाकई बहुत धैर्य से मरीज की बात सुनते हैं और वह आपकी समस्या को औरों से बेहतर समझते हैं। उनके सामने बात रखने से वह न सिर्फ आपका सही इलाज कर सकते हैं बल्कि आपकी जिंदगी को नई राह भी दिखा सकते हैं।
टेंशन, डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी उतनी ही आम बीमारी है जितनी कि जुकाम या बुखार होना। अगर आप उनके इलाज के लिए डॉक्टर के पास जा सकते हैं तो फिर टेंशन के इलाज के लिए क्यों नहीं? संकोच छोड़ दीजिए और डॉक्टर से इस मामले में बात कीजिए।
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