मानसून भले ही गर्मी से राहत दिलाता है, लेकिन अपने साथ कई बीमारियों को भी लेकर आता है। बारिश के मौसम में मच्छर जनित बीमारियों के मामले अधिक सामने आते हैं। इस दौरान अधिकतर लोगों को सर्दी, खांसी और जुकाम से परेशान होना पड़ता है। इसके साथ ही डेंगू, मलेरिया समेत कई बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है।
1. डेंगू – डेंगू मानसून के दौरान होने वाली सबसे आम बीमारी है। यह एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। इस स्थिति में आपको तेज बुखार महसूस हो सकता है। इसके साथ ही सूजी हुई लसिका ग्रंथियां, चकत्ते, सिरदर्द और शरीर में दर्द होना भी डेंगू के लक्षण होते हैं।
2. चिकनगुनिया – चिकनगुनिया ठहरे हुए पानी में पैदा होने वाले मच्छरों के कारण होता है। ये मच्छर टैंक, कूलर, प्लांट, बर्तन और पानी के पाइप में पाए जाते हैं। मानसून में चिकनगुनिया भी एक आम बीमारी है। जोड़ों में दर्द, तेज बुखार, थकान और ठंड लगना चिकनगुनिया के लक्षणों में शामिल हैं।
3. मलेरिया – बरसात के मौसम में मलेरिया भी बेहद सामान्य है। यह बीमारी भी मच्छर के काटने से ही फैलती है। यह एक गंभीर बीमारी हो सकती है। इस स्थिति में आपको तेज बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना, पसीना आना और शरीर में खून की कमी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। ये लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
गिलोय का नाम तो सुना होगा लेकिन क्या आपको गिलोय की पहचान है कि ये देखने में कैसा होता है। गिलोय की पहचान और गिलोय के औषधीय गुण के बारे में जानने के लिए चलिये विस्तार से चर्चा करते हैं।
गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
4. टाइफाइड – टाइफाइड एक अत्यधिक संक्रामक मानसून संबंधी बीमारी है। यह रोग आमतौर पर दूषित भोजन खाने और पानी पीने की वजह से होता है। लंबे समय तक तेज बुखार, कमजोरी, पेट में दर्द, कब्ज, सिरदर्द और उल्टी टाइफाइड के लक्षण हैं।
5. वायरल बुखार – वैसे तो वायरल फीवर किसी भी मौसम में हो सकता है। लेकिन मानसून में वायरल बुखार के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। वायरल फीवर में बुखार, थकान, चक्कर आना, कमजोरी, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, शरीर और जोड़ों का दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
6. डायरिया – डायरिया की समस्या भी अकसर ही मानसून में देखने को मिलती है। अधिकतर बच्चों की इस समस्या का सामना करना पड़ता है। बार-बार मल निकलना, पेट में ऐंठन, बुखार, सूजन, जी मिचलाना, मल में खून और पतला मल निकलना डायरिया के लक्षण होते हैं।
7. पेट में इंफेक्शन – पेट में संक्रमण तब होता है, जब आप अनहेल्दी चीजों का सेवन करते हैं। गैस्ट्रोएंटेराइटिस पेट का एक सामान्य संक्रमण है, जो इस मौसम में होता है। बुखार, मतली, उल्टी, पेट में ऐंठन, डायरिया और पेट में दर्द इंफेक्शन के लक्षण होते हैं।
मानसून की बीमारियों से कैसे बचें?
- मानसून की बीमारियों से बचने के लिए सबसे पहले अपनी डाइट का खास ख्याल रखें।
- मसालेदार, अधिक तला और ऑयली खाने से परहेज करें।
- अनहेल्दी फूड्स जैसे बर्गर, पिज्जा आदि खाने से बचें।
- घर के बने खाने को ही महत्व दें। बाहर के खाने से पूरी तरह से परहेज करें।
- खुद को हाइड्रेट रखें। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- मानसून में अधिकतर बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती है। इसलिए अपने घर और उसके आस-पास सफाई करें। मच्छरों को पनपने न दें।
मानसून अपने साथ बीमारियों को लेकर आता है। इसलिए इस मौसम में अपना खास ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। मानसून में होने वाले बुखार, डायरिया जा उल्टी जैसे लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।
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