आप पूरी सर्दी अपना कितना ही ख्याल रखते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि जाती हुई सर्दियां आपको बीमार कर जाती है। ऐसे में आपको कुछ ऐसी चीजों का सेवन करना चाहिए जिससे आप सर्दी-जुकाम से बचे रह सकें। काली मिर्च खांसी मुकाम के अलावा कई अन्य बीमारियों में भी कारगर मानी जाती है। आइए, जानते हैं इसके घरेलू उपाय-
खांसी मिर्च पोषण तत्व
काली मिर्च में पैपरीन नामक तत्व पाया जाता है। यह तत्व औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक, क्रोमियम, विटामिन ए और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं।
काली मिर्च के कारगर उपाय
-आप सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो काली मिर्च को गर्म दूध में मिला कर लें।
-बार-बार जुकाम होता है, तो 15 दिन तक एक-एक काली मिर्च बढ़ाते हुए उसका सेवन करें। उसके बाद 15 दिन तक एक-एक घटाते हुए लें। इससे बार-बार होने वाली जुकाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
-कफ बनता है तो एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी काली मिर्च के साथ एक चुटकी हल्दी मिला कर उसका सेवन करें।
-अगर आप लगातार खांसी से परेशान हैं, तो काली मिर्च के 4-5 दानों के साथ किशमिश के 15 दाने चबाने से आराम मिलेगा।
-अगर गला बैठ गया है और गले से खरखराहट भरी आवाज निकल रही है तो काली मिर्च को घी व मिश्री के साथ मिला कर खाएं। गला ठीक हो जाएगा।
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-फेफड़े और सांस नलियों में संक्रमण है तो काली मिर्च और पुदीने की चाय का सेवन कर सकते हैं।
-खांसी से परेशान हैं तो काली मिर्च के पाउडर को गुड़ में मिला कर उसकी गोलियां बना कर सेवन करें। जल्दी आराम मिलेगा।
-पेट में गैस की समस्या है तो एक कप पानी में आधा नीबू का रस, आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर व आधा चम्मच काला नमक मिला कर पिएं।
-उल्टी-दस्त होने पर काली मिर्च का सेवन फायदेमंद है। इसके लिए काली मिर्च, हींग व कपूर को पांच-पांच ग्राम लेकर मिला लें। उसके बाद राई के बराबर छोटी—-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों का हर 3 घंटे बाद सेवन करें।
-पेट में कीड़ों की समस्या है, तो काली मिर्च को किशमिश के साथ 2-3 बार चबा कर खा जाएं। एक गिलास छाछ में थोड़ी-सा काली मिर्च का पाउडर मिला कर पीने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
-बदहजमी होने पर कटे हुए नीबू का आधा टुकड़ा लें, बीज निकाल लें। इसमें काला नमक व काली मिर्च भर कर गर्म करके चूसें।
-काली मिर्च उनके लिए भी बहुत उपयोगी है, जिनकी आंखें कमजोर हैं। काली मिर्च को पीस कर उसके पाउडर को देशी घी के साथ मिला कर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
-दांतों में होने वाले रोग पायरिया से परेशान हैं और दांत कमजोर हैं तो काली मिर्च को नमक के साथ मिला कर दांतों पर लगाएं।
-याददाश्त कमजोर है तो काली मिर्च को शहद में मिला कर खाएं।
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भूख नहीं लगती, तो मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें) , हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पांच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।
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मौसमी खांसी के लिए सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएं। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खांसी, विशेषकर बलगमी खांसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें।
बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल-दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों चीजें मिलकर एक रस होकर घुल जाए। तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, मांसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
बैठे हुए गले के लिए मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह तक गला साफ हो जाएगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।
अब नहीं रहेगा कोई रोगी
फटे हाथ पैरों के लिए सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।
सर्दी बुखार और सांस के पुराने रोगों के लिए तुलसी
तुलसी की 21 पत्तियां स्वच्छ खरल या सिलबट्टे ( जिस पर मसाला न पीसा गया हो ) पर चटनी की तरह पीस लें और से 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन महीने तक खाएं। याद रहे कि दही खट्टी न हो। यदि दही माफिक न आए, तो एक – दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि सुबह खाली पेट लें। आधा एक घंटे के बाद नाश्ता ले सकते हैं ।
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मुंह और गले के कष्टों के लिए सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुंह की अनेक बीमारियां और सूखी खांसी दूर होती है। साथ ही बैठी हुई आवाज खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।
जोड़ों के दर्द के लिए बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक – चीनी आदि कुछ न मिलाएं। इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।
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