शनि देव यदि प्रसन्न हो जायें तो जीवन में एक नई तरंग का आभास होता है. अधिकतर लोग शनि देव को बुरा मानते हैं क्योंकि शनि देव की कृदृष्टि से कार्य में बाधायें आती हैं. आओ जानें, कैसे शनि देव को प्रसन्न किया जा सकता है.
शनि अमावस्या के दिन शुभ शुभ मुहूर्त में सुन्दरकाण्ड या हनुमान चालीसा का का 21 आवृति पाठ करें.
काली गाय की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. काली गाय के सिर पर रोली लगाकर सींगों में कलावा बांधकर धूप-आरती करें फिर परिक्रमा करके गाय को बून्दी के चार लड्डू खिला दें.
हनुमान जी का पूजन – सूर्यास्त के बाद हनुमानजी का पूजन करें. पूजन में सिन्दूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल का प्रयोग करें.
शनि देव के नाम – इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करें: कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद व पिप्पलाद.
रुद्राक्ष की माला – सुबह प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश के आसन पर बैठ जाएं. सामने शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें. इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें.
काले चने का भोग – सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें. इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगायें. इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें. दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी सुनसान स्थान पर रख आयें
काला धागा – काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर धारण करने से भी शनि संबन्धी सभी कार्यों में सफलता मिलती है.
भैरवजी की उपासना करें और शाम के समय काले तिल के तेल का दीपक लगाकर शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.
लाल चन्दन की माला – लाल चन्दन की माला को अभिमंत्रितकर पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं.
मांस मदिरा का सेवन त्यागें – यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती, ढय्या या महादशा चल रही हो तो इस दौरान मांस, मदिरा का सेवन न करें. इससे भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
सरसों के तेल का दीपक – शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसो के तेल का दीपक लगायें और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें.
डाकोत को दान – एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें.
काला कोयला – सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से प्रार्थना करें.
रोटी खिलाना – चोकर युक्त आटे की 2 रोटी लेकर एक पर तेल और दूसरी पर शुद्ध घी लगाएं. तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान रखकर काली गाय को खिला दें. इसके बाद दूसरी रोटी भी खिला दें और शनिदेव का स्मरण करें.
काले धागे की माला – अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बटकर माला की भांति गले में पहनें. इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है.
मछलियों को काला चना – शनि जयंती के एक दिन पहले यानी मंगलवार की रात काले चने पानी में भिगो दें. शनि जयंती के दिन ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें. यह टोटका पूरा एक साल करें. इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें.
बन्दरों और काले कुत्तों की सेवा – शनि जयंती और प्रत्येक शनिवार के दिन बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें.
शमी वृक्ष की जड़
शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आयें. शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें. शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्यायें हैं, उनका निदान होगा.
शनि यन्त्र की स्थापना – शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें. इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं. नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा.
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