लिंग छोटा हो या पतला इसका महत्व नहीं है। महत्व है- मैथुन शक्ति का।
मैथुन शक्ति जितनी प्रबलता से सम्पन्न होगी, स्त्री उतनी ही संतुष्ट होती है। स्वयं पुरूष को भी तृप्ति प्राप्त हो जाती है। लिंग में भरपूर कठोरता तथा स्तम्भन शक्ति के बल पर ही यौन आनंद तृप्ति निर्भर है, छोटे या पतले लिंग से नहीं। छोटा या पतला लिंग भी यदि पूर्ण कठोर हो तो मैथुन आनंद उतना ही प्राप्त होता है, जितना बड़े तथा मोटे लिंग से मैथुन आनंद व तृप्ति प्राप्त होती है। छोटे तथा पतले लिंग को बड़ा तथा मोटा बनाने के अति उपयोगी आयुर्वेदिक चिकित्सा नीचे सविस्तार उल्लेख की जा रही है। प्रस्तुत की जा रही औषधि योगों में से कोई भी एक योग पीड़ित रोगी को प्रयोग करने का निर्देश दें।
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प्रमुख आयुर्वेदिक योग इस प्रकार है:
1. छोटी इलायची का चूर्ण , लौंग का चूर्ण , पीपल का चूर्ण ।
यह योग सर्वोत्तम शक्तिशाली उच्चकोटि का प्रभाव उत्पन्न कर यह योग नपुंसकता नाशक भी है। वीर्य बढ़ाने में भी यह सहायक सिद्ध होता है। वीर्य गाढ़ा हो जाता है, जिससे रोगी की स्तम्भन शक्ति भी विकसित होने लगती है। वीर्य के तमाम दोष इस योग के प्रयोग से दूर हो जाते हैं।
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4. जायफल , जावित्री , अकरकरा , अरण्ड के बीज , पुराना गुड़ , तिल , शहद , पुराना नारियल।
यह योग अति उपयोगी, असरकारक एवं श्रेष्ठ लाभ प्रदान करता है। इस पोटली के प्रयोग से लिंग के अंदर आश्चर्यजनक उत्तेजना-शक्ति का संचार भी होने लगता है।
5. अश्वगंधा कैप्सूल – उपरोक्त कैप्सूल दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार प्रयोग करायें। यह कैप्सूल बल-वीर्यवर्धक गुण सम्पन्न है। लिंग पर्याप्त शक्तिशाली, सुदृढ़ तथा बलवान हो जाता है। रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है।
अश्वगंधारिष्ट , बलारिष्ट ।
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उपरोक्त दोनों कैप्सूल सेवन करने के अतिरिक्त भोजन करने के बाद उपरोक्त दोनों पेय सेवन करने का निर्देश दें। कैप्सूल तथा पेय प्रयोग कराने से पीड़ित रोगी मानसिक, शारीरिक तथा स्नायुविक तौर पर भी शक्तिशाली हो जाता है। लिंग में भी आशातीत शक्ति का संचार हो जाता है।
6. शिलाजीत
यह नपंुसकता-नामर्दी को नष्ट करने वाला योग है। इसका प्रभाव लिंग पर भी पड़ता है। रोगों की शक्ति बढ़ जाने पर रोगी के चेहरे पर रौनक एवं कांति उत्पन्न हो जाती है। दूध के साथ रोगी को प्रयोग कराना अधिक हितकर साबित होता है।
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7. कौंच पाक च्यवनप्राश।
उपरोक्त तीनों औषधियां अतिशय गुणकारी होती हैं। इनका प्रभाव सर्वोत्तम शक्तिशाली तथा उच्चकोटि का होता है।
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यह योग नपुंसकतानाशक अपूर्व शक्ति प्रदान करने वाला है। इसके प्रयोग से लिंग भी कठोर तथा सबल होने लगता है।
8.सफ़ेद मूसली, कौंच बीज , गोखरू , शतावरी की मींगी।
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यह चूर्ण दिन में 2 बार अथवा आवश्यकतानुसार सेवन करने का रोगी को निर्देश दें। गाय के दूध के साथ रोगी को प्रयोग कराना हितकर सिद्ध होता है। यह योग अपूर्व शक्ति प्रदान करता है। इसके प्रयोग से नपुंसकता नष्ट हो जाती है। लिंग की दुर्बलता-कमजोरी का भी अंत हो जाता है। यह लिंग को सबल, मजबूत और शक्तिशाली बना देने वाला योग है। इस औषधि से यौवन हार्मोन्स का स्राव भी इस योग से बढ़ने लगता है।
9. डॉ नुस्खें कामदेव चूर्ण
उपरोक्त दोनों औषधियां अतिशय गुणकारी सिद्ध हैं। दोनों औषधियां नपुंसकता-नामर्दी का नाश करके रोगी को सक्षम-समर्थ बना देती हैं। इनके प्रयोग से बलवीर्य बढ़ता है। चेहरे पर कांति उत्पन्न हो जाती है। लिंग भी कठोर शक्तिशाली हो जाता है। रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है।
10. काम सी ऑइल, शक्तिमंत्र ऑइल
यह लिंग पर मलने के लिए दिया जाता है। इसका प्रभाव सर्वोत्तम शक्तिशाली होता है। यह लिंग को कठोर व सबल बना देता है। रोगी को मैथुन तृप्ति प्राप्त होती है। लिंग लंबा मोटा करने की आयुर्वेदिक दवा
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स्त्री व पुरुष दोनो के गुप्त रोगों का इलाज किया जाता है :
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पुरुष के रोग: नामर्दी, सुप्न्दोश, धात, वीर्य का पतलापन, लिंग का सही विकास ना होना, नसों का ढीलापन, लिंग से खून या पीप आना, शुक्राणु की कमी, शुगर से आई हुई कमजोरी, बचपन की गलतियो से आई कमजोरी, सेक्स टाइम में कमी आदि।
स्त्री के रोग: लुकोरिया, पीरियड का सही समय पर ना आना, गर्भवती ना होना, बच्चे का अधूरे गिरना, सेक्स की इच्छा ना होना आदि।