गणेश चतुर्थी पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है
इस दिन भगवान गणेश अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
गणेश चतुर्थी का पर्व शनिवार 22 अगस्त से शुरू हो रहा है. अगले 10 दिन यानी 1 सितंबर तक भगवान गणेश की उपासना की जाएगी. गणेश जी की स्थापना एक दिन, तीन दिन, पांच दिन या पूरे दस दिन की जा सकती है. स्थापना हमेशा मिटटी की मूर्ति की करें जिसका विसर्जन किया जा सके. आइए आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी की महिमा और महत्व क्या है.
गणेश चतुर्थी की महिमा
गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था. यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
गणेश की मूर्तियों का महत्व
गणेश जी की अलग अलग मूर्तियां अलग अलग तरह के परिणाम देती हैं. सबसे ज्यादा पीले रंग की और रक्त वर्ण की मूर्ति की उपासना शुभ होती है. नीले रंग के गणेश जी को “उच्छिष्ट गणपति” कहते हैं , इनकी उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती है. हल्दी से बनी हुई या हल्दी का लेपन की हुई मूर्ति “हरिद्रा गणपति” कहलाती है. यह कुछ विशेष मनोकामनाओं के लिए शुभ मानी जाती है.
सफेद रंग के गणपति को ऋणमोचन गणपति कहते हैं. इनकी उपासना से ऋणों से मुक्ति मिलती है. चार भुजाओं वाले रक्त-वर्ण के गणपति को “संकष्टहरण गणपति” कहते हैं. इनकी उपासना से संकटों का नाश होता है. त्रिनेत्रधारी, रक्तवर्ण और दस भुजाधारी गणेश “महागणपति” कहलाते हैं.
कैसें करें भगवान गणेश की उपासना
गणेश जी को दूब और मोदक जरूर अर्पित करें. पीले वस्त्र और सिन्दूर अर्पित करना शुभ होगा. गणेश जी को पीले फूलों की या फलों की माला अर्पित करें. गणेश जी की उपासना जितने भी दिन चलेगी अखंड घी का दीपक जलता रहेगा.
भगवान गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी आ गया है. इस साल गणेशोत्सव 22 अगस्त से 1 सितंबर तक मनाया जाएगा. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी से अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश अपने भक्तों के बीच ही रहते हैं. गणपति के जन्मदिवस पर के रूप में मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी पर कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आइए आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी पर क्या करना अशुभ माना जाता है.
1. हिंदू धर्म के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए. यदि आप भूलवश चंद्रमा का दर्शन कर भी लें तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की तरफ फेंक दें.
2. गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ऐसे में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.
4. गणपति की पूजा करते वक्त कभी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था. गणेश भगवान ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया था.
4. गणपति की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें. पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें. घर में गणेश की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए.
5. भगवान गणेश की मूर्ति के पास अगर अंधेरा हो तो ऐसे में उनके दर्शन नहीं करने चाहिए. अंधेरे में भगवान की मूर्ति के दर्शन करना अशुभ माना जाता है.
सिंदूर चढ़ाते वक्त करें इस मंत्र का जप
श्री हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं. इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण करें. इसके बाद मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें.
मंत्र है-
सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।
भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।
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