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अस्थमा एक फेफड़ों से जुड़ा रेस्पिरेटरी रोग है। अस्थमा में कभी कभार इसमें हमारा सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के मरीज खुद को काफी घुटन में और काफी परेशान महसूस करते हैं। अस्थमा अटैक आने के अलग अलग कारण हो सकते हैं जैसे मौसम, आपके आस पास का एरिया, इरिटेंट्स आदि। इनसे पेट में काफा दोष बढ़ता है। इससे हवा का प्राकृतिक फ्लो ब्लॉक हो जाता है जिससे अस्थमा बढ़ सकता है। हालांकि कुछ आयुर्वेदिक होम रेमेडीज की मदद से आप इस दोष को और अस्थमा रोग को कम कर सकते हैं।
1. अदरक और लहसुन की कलियां
इंफ्लेमेशन से डील करने की जब बात आती है तो अदरक को सबसे आगे रखा जाता है। अगर अदरक से बनी चाय के आधे कप के साथ दो तीन कलियां लहसुन की मिला दी जाएं तो यह एयर वे में जमा हो गए काफा को रिलीज करने में काफी प्रभावी रेमेडी बन सकती है। इससे अस्थमा अटैक्स को रोका जा सकता है। इसका सेवन आप रोजाना भी कर सकते है।
2. अदरक और हल्दी पाउडर
अगर आप जल्दबाजी में कोई रेमेडी तैयार करना चाहते हैं तो अदरक और हल्दी को मिक्स करके एक चाय भी बना सकते हैं और उसे गर्म गर्म पी जाएं। सबसे पहले थोड़े से अदरक को कस लें और उसे एक गिलास पानी के साथ उबाल लें। अब इसमें आधी चम्मच हल्दी पाउडर भी एड कर दें। अगर इसे रोजाना दिन में दो बार पिया जाए तो यह आयुर्वेदिक रेमेडी अस्थमा अटैक आने की संख्या बेहद कम कर सकती है।
3. दालचीनी और शहद
एक चम्मच दालचीनी में एक चौथाई दालचीनी का टुकड़ा मिलाएं और इन दोनों को एक कप पानी के साथ उबलने के लिए रख दें। अब इसे 10 मिनट के लिए थोड़ा ठंडा होने के लिए छोड़ दें और उसके बाद शहद एड कर दें। शहद को एक चम्मच से ज्यादा न डालें। इस रेमेडी का सेवन रोजाना एक बार कर सकते हैं। अधिक लाभ पाने के लिए इसे दो बार भी पी सकते हैं।
4. लिकोराइस और अदरक
लिकोराइस जिसे मुलेठी भी कहा जाता है, के अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो इन्फ्लेमेशन को कम करने में सहायक होते हैं। अस्थमा भी इन्फ्लेमेशन के कारण ही होता है। इसकी आप चाय बना कर पी सकते है। आधा चम्मच मुलेठी ले और आधा चम्मच अदरक को एक कप पानी में उबाल दें। थोड़ी देर बाद इसे छान कर पी लें। इससे आपके अस्थमा के लक्षण कम देखने को मिलेंगे।
5. तेज पत्ता
आधे चम्मच तेज पत्ते को एक चौथाई चम्मच पिप्पली के साथ मिला दें। इसकी कड़वाहट को दूर करने के लिए आप इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं। इसके बाद इस का सेवन दिन में तीन से चार बार कर सकते हैं। इसका सेवन करने से अस्थमा के बहुत पुराने और बार बार देखे जाने वाले लक्षणों से मुक्ति मिल सकती है।
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