आपको बीमारियों से दूर रखेंगे ये 10 घरेलू उपाय, जानें किस समस्या में करें कौन-सा उपाय

सेहत से जुड़ी एक मशहूर कहावत है ‘इलाज से बेहतर बचाव है’। यह बात पूरी तरह सही भी है कि किसी बीमारी की चपेट में आने के बाद इलाज कराने से बेहतर है कि ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे कि आप किसी बीमारी की चपेट में न आ सकें। आज हम आपको ऐसे ही घरेलू उपाय बता रहे हैं जिन्हें अपनाने से आप बीमारियों से बचे रहेंगे।

खराश या सूखी खांसी के लिए अदरक और गुड़
गले में खराश या सूखी खांसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है।

दमे के लिए तुलसी और वासा
दमे के रोगियों को तुलसी की 10 पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग 21 दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है।

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भूख नहीं लगती, तो मुनक्का हरड़ और चीनी
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें) , हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पांच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।

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मौसमी खांसी के लिए सेंधा नमक
सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएं। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खांसी, विशेषकर बलगमी खांसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें।

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बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
10 ग्राम कपूर, 200 ग्राम सरसों का तेल-दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों चीजें मिलकर एक रस होकर घुल जाए। तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, मांसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।

अंगूर की जैली औषधियों के मिश्रण से तैयार की गई है। इसे गर्मी का च्यवनप्राश भी कह सकते है। ये लीवर,किडनी,हर्ट और ब्रेन, चारों को प्रोटेक्ट करेगा साथ ही रोग प्रतिरोधक छमता को बढ़ाएगा व शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करेगा ।
Immunity बढ़ाने के लिए जिससे शरीर को स्फूर्ति ताजगी व बल मिलता है। कब्ज और पेट रोगियों के लिए संजीवनी – घर बैठे ( Dr Nuskhe Grapes Jeely अंगूर का आयुर्वेदिक च्यवनप्राश ) ऑर्डर करने के लिए click👇 करें

बैठे हुए गले के लिए मुलेठी का चूर्ण
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुंह में रखकर सो जाएं। सुबह तक गला साफ हो जाएगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।

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अश्वगंधा पुरुषो के लिए तो लाभदायक होता ही है साथ ही महिलाओ के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके पोधों के जड़ो में एंटीबाक्टेरियाल और एंटीफ़ंगल होता है जिससे ज़्यादातर इन्फ़ैकशन को ख़तम करने मे असरदर माना जाता है।महिलाओ मे इन्फ़ैकशन होना आम बात है। गर्भाशय के सूजन को भी कम करने में ये आयुर्वेद हेर्ब माना जाता है। जिन महिलाओ की योनि में से सफ़ेद चिपचिपा प्रदार्थ निकलता है उन्हे भी अश्वगंधा खाने से बहुत फाइदा मिलता है।
(डॉ. नुस्खे )
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फटे हाथ पैरों के लिए सरसों या जैतून का तेल
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।

सर्दी बुखार और सांस के पुराने रोगों के लिए तुलसी
तुलसी की 21 पत्तियां स्वच्छ खरल या सिलबट्टे ( जिस पर मसाला न पीसा गया हो ) पर चटनी की तरह पीस लें और से 10 से 30 ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन महीने तक खाएं। याद रहे कि दही खट्टी न हो। यदि दही माफिक न आए, तो एक – दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि सुबह खाली पेट लें। आधा एक घंटे के बाद नाश्ता ले सकते हैं ।

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मुंह और गले के कष्टों के लिए सौंफ और मिश्री
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुंह की अनेक बीमारियां और सूखी खांसी दूर होती है। साथ ही बैठी हुई आवाज खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।

जोड़ों के दर्द के लिए बथुए का रस
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक – चीनी आदि कुछ न मिलाएं। इसके लेने के आगे पीछे दो – दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।

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ankit1985

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