भारतीय किचन में तरह-तरह के मसाले न केवल खाने का स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं। उन्हीं मसालों में से एक है जायफल। यह भोजन का स्वाद और सुगंध दोनों बढ़ाता है। यह मसाला पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर है, जो जायफल के पेड़ मिरिस्टिका फ्रेग्रेंस से मिलता है। मिरिस्टिका के बीज को जायफल कहा जाता है।
जायफल का सेवन बहुत कम लोग करना पसंद करते हैं। क्योंकि इसका स्वाद गर्म और थोड़ा अखरोट जैसा होता है। लोग अक्सर इसका उपयोग डेसर्ट या करी में करते है। जायफल में ऐसे बहुत सारे यौगिक होते हैं, जो बीमारी को रोकने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको जायफल के विज्ञान आधारित स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं।
सूजन से दिलाए राहत – जायफल एंटी इंफ्लेमेटरी यौगिकों से समृद्ध है, जिसे मोनोटेरेप्स कहा जाता है। इसमें साबिनिन, टेरपिनोल और पिनीन शामिल है । ये आपके शरीर में पुरानी सूजन वाली स्वास्थ्य स्थिति जैसे दिल के रोग, मधुमेह और गठिया से राहत दिलाने में कारगार है। एक अध्ययन में सूजन वाले चूहों को इंजेक्शन लगाया गया । उनमें से कुछ को जायफल का तेल दिया गया। तेल का सेवन करने वाले चूहों ने सूजन और सूजन संबंधी दर्द का कम अनुभव किया।
एंटीऑक्सीडेंट में समृद्ध – जायफल में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिसमें फेनोलिक यौगिक और प्लांट पिगमेंट्स शामिल हैं, जो सेल्यूलर डैमेज को रोककर पुरानी बीमारियों से आपका बचाव कर सकते हैं। दरअसल, जिन बीजों से जायफल निकाला जाता है, वे पौधों के यौगिक से भरपूर होते हैं, जो आपके शरीर में एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले सेल्यूलर डैमेज को रोकते हैं।
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सेक्स ड्राइव बढ़ाए – जायफल आपकी सेक्स लाइफ को मजेदार बनाने में मदद करता है। इसे महिलाओं के लिए वियाग्रा के रूप में जानते हैं। क्लीनिकल इंवेस्टीगेशन्स से पता चला है कि जायफल का नियमित रूप से सेवन यौन गतिविधि को तेज करता है, जिससे निरंतर तरीके से सेक्स की इच्छा में वृद्धि होती है।
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पशु अनुसंधानों की एक रिसर्च में पता चला है कि नर चूहों को जायफल का अर्क की अच्छी खुराक देने से उनकी यौन गतिविधि में काफी वृद्धि हुई। आपको बता दें कि दक्षिण एशिया में यूनानी चिकित्सा पद्धति में यौन विकारों के इलाज के लिए जायफल का उपयोग महत्वपूर्ण रूप से किया जाता है।
एंटीबैक्टीरियल गुणों का खजाना – जायफल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। कभी-कभी स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स और एग्रिगेटिबेक्टेरिन, एक्टिनोमाइसेटेमकोमिटन्स जैसे बैक्टीरिया मसूडों को खराब करते हैं। टेस्ट ट्यूब रिसर्च से पता चला है कि जायफल ई-कोलाई नामक बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं, जो मनुष्य में गंभीर बीमारी के साथ मौत का भी कारण बन सकता है।
कई स्वास्थ्य स्थितियों में लाभकारी जायफल –
- जायफल दिल की सेहत को फायदा पहुंचा सकता है। पशु अध्ययन बताते हैं कि जायफल की खुराक लेने से दिल के रोग के जोखिम कारक कम हो जाते हैं।
- जायफल ब्लड शुगर कंट्रोल करने में फायदेमंद साबित होता है। चूहों में किए गए एक अध्ययन से इस बात का पता चला है कि अच्छी खुराक वाले जायफल के अर्क सेरक्त शर्करा का स्तर काफी कम हो जाता है।
- पशु अनुसंधान के अनुसार, जायफल मूड को बढ़ावा देने, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और हृदय रोगों के जोखिम कारकों को कम करने में मददगार है। इन संभावित स्वास्थ्य लाभों की जांच के लिए मनुष्यों में जांच की जरूरत है।
गर्म ओर मीठा स्वाद होने की वजह से इसे अलग-अलग मीठे और नमकीन खाद्य पदार्थों के साथ मिलाया जाता है। इस लोकप्रिय मसाले को आप अकेले या फिर मसालों जैसे इलायची, दालचीनी और लौंग के साथ मिला सकते हैं। हल्की सी मिठास के कारण इसे पाई, केक, कुकीज, ब्रेड और कस्टर्ड में खासतौर से जोड़ा जाता है। जायफल को यदि स्टार्च वाली सब्जियों पर छिड़का जाए, तो स्वाद और भी दिलचस्प हो जाता है। यदि आप पूरे जायफल का उपयोग कर रहे हैं, तो बेहतर है कि इसे ग्राइंडर से पीस लें।
जायफल के नुकसान – कम मात्रा में जायफल का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं है, लेकिन इसकी उच्च मात्रा आपको नुकसान पहुंचा सकती है। जायफल गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है। जैसे दिल की धड़कन तेज होना,मतली और उल्टी महसूस होना। अन्य दवाओं के साथ लेने पर ये मौत का कारण भी बन सकता है। लंबे समय तक जायफल की ज्यादा खुराक से अंगों को नुकसान होता है। इन संभावित हानिकारक साइड इफेक्टस से बचने के लिए बड़ी मात्रा में जायफल का सेवन करने से बचें।
दमा व श्वास का घरेलू उपचार
दमा व श्वास का घरेलू उपचार – एक पका केला छिला लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़छान की हुई काली मिर्च भर दें । फिर उसे बगैर छीलेही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें । बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले । ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें ।प्रतिदिन सुबह में केले में काली मिर्च का चूर्ण भरें। और शाम को पकावें । 15-20 दिन में खूब लाभ होगा ।
केला के पत्तों को सुखाकर किसी बड़े बर्तन में जला लेवें। फिर कपड़छान कर लें और इस केले के पत्ते की भरम को एक कांच की साफ शीशी या डिब्बे में रख लें । बस, दवा तैयार है ।
सेवन विधि – एक साल पुराना गुड़ 3 ग्राम चिकनी सुपारी का आधा से थोड़ा कम वनज को 2-3 चम्मच पानी में भिगों दें । उसमें 1-4 चौथाई दवा केले के पत्ते की राख डाल देंऔर पांच-दस मिनट बाद ले लें । दिनभर में सिर्फ एक बार ही दवा लेनी है, कभी भी ले लेवें ।
बच्चे का असाध्य दमा – अमलतास का गूदा 15 ग्राम दो कप पानी में डालकर उबालें चौथाई भाग बचने पर छान लें और सोते समय रोगी को गरम-गरम पिला दें । फेफड़ों में जमा हुआ बलगम शौच मार्ग से निकल जाता है । लगातार तीन दिन लेने से जमा हुआ कफ निकल कर फेफड़े साफ हो जाते है । महीने भर लेने से फेफड़े कर तपेदिक ठीक हो सकती है ।
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