शास्त्रों में भगवान शिव (Lord shiva) के स्वरूपों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं. इनके स्वरूप सभी देवी-देवताओं से बिल्कुल अलग है. जहां सभी देवी-देवता दिव्य आभूषण और वस्त्रादि धारण करते हैं. वहीं शिवजी ऐसा कुछ भी धारण नहीं करते. वो शरीर पर भस्म रमाते हैं. शास्त्रों में भोलेनाथ के 5 खास रहस्यों (Bholenath miraculous secrets) के बारे में भी बताया गया है, जो शायद ही उनके भक्त जानते होंगे.
भस्म लगाने का रहस्य
भगवान शिव इस दुनिया के सारे आकर्षण से मुक्त हैं. उनके लिए ये दुनिया, मोह-माया सब कुछ एक राख से ज्यादा कुछ नहीं है. सब कुछ एक दिन भस्मीभूत होकर समाप्त हो जाएगा. भस्म इसी बात का प्रतीक है. शिवजी (Shivji) का भस्म से भी अभिषेक होता है, जिससे वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है. घर में धूप बत्ती की राख से शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं. महिलाओं को भस्म से अभिषेक नहीं करना चाहिए.
तांडव नृत्य का रहस्य
शिव का तांडव नृत्य प्रसिद्ध है. शिव के तांडव के दो स्वरूप हैं. पहला उनके क्रोध का परिचायक प्रलयकारी रौद्र तांडव और दूसरा आनंद प्रदान करने वाला आनंद तांडव. ज्यादातर लोग तांडव शब्द को शिव के क्रोध का पर्याय ही मानते हैं. रौद्र तांडव करने वाले शिव रूद्र कहे जाते हैं. आनंद तांडव करने वाले शिव नटराज शिव के आनन्द तांडव से ही सृष्टि अस्तित्व में आती है और उनके रौद्र तांडव में सृष्टि का विलय हो जाता है.
गले में लिपटे सर्प का रहस्य
भगवान शिव के गले में हर समय लिपटे रहने वाले नाग कोई और नहीं, बल्कि नागराज वासुकी हैं. वासुकी नाग ऋषि कश्यप के दूसरे पुत्र थे. शिव पुराण के अनुसार नागलोक के राजा वासुकी शिव के परम भक्त थे.
मस्तक पर चंद्रमा का रहस्य
एक बार महाराज दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग से ग्रसित होने का श्राप दिया. इससे बचने के लिए चंद्रमा ने भगवान शिव की पूजा की. भोलेनाथ चंद्रमा के भक्ति भाव से प्रसन्न हुए और उनके प्राणों की रक्षा की. साथ ही चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया, लेकिन आज भी चंद्रमा के घटने-बढ़ने का कारण महाराज दक्ष का शाप ही माना जाता है.
तीसरी आंख का रहस्य
एक बार हिमालय पर भगवान शिव सभा कर रहे थे, जिसमें सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन शामिल थे. तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने अपने दोनों हाथों से भगवान शिव की दोनों आंखों को ढक दिया. माता पार्वती ने जैसे ही भगवान शिव की आंखों को ढका संसार में अंधेरा छा गया. इसके बाद धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में खलबली मच गई. संसार की ये दशा भगवान शिव से देखी नहीं गई. उन्होंने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया, जो भगवान शिव की तीसरी आंख बनी.
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