बारिश का मौसम अपने साथ कई बीमारियां भी लाता है. ऐसे में हम अगर इस मौसम में सही खानपान और साफसफाई का ध्यान न रखें तो बीमारियों का आसानी से शिकार बन जाते हैं. अत: इस मौसम में खानपान संबंधी सही जानकारी होनी आवश्यक है ताकि खुद को तरोताजा और चुस्ततंदुस्त रखा जा सके.
बारिश की शुरुआत हो गई है। इस मौसम में खासकर भोजन और पीने के पानी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। संक्रमित भोजन और पानी से टाइफाइड, जौंडिस, गैस्ट्रोइंट्रेटाइटिस आदि की परेशान बढ़ सकती हैं। पानी बिल्कुल शुद्ध होना चाहिए। यदि फिल्टर की व्यवस्था नहीं है तो पानी को ठीक से उबाल कर उसे ठंडा कर पीना चाहिए। अधिकतर बीमारियों का कारण दूषित पानी होता है। खुले में बिकने वाले या बासी भोजन से परहेज करें। गर्म (ताजा) भोजन करें। रसोई में भोजन ढक कर रखें। मक्खी भी भोजन को संक्रमित कर सकती है। इस मौसम में बच्चों और बुजुर्गों को खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। साबुन से हाथ धोकर ही कुछ खाना चाहिए, क्योंकि गंदे हाथ से खाने पर भी कई बीमारियां होती हैं। यह कहना पीएमसीएच के वरीय फिजिशियन डॉ. बीके चौधरी का। वे शनिवार को दैनिक भास्कर के हेल्थ काउंसिलिंग में पाठकों को सलाह दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि बरसात में मच्छरों से बचाव करना चाहिए। मच्छरों से डेंगू ही नहीं, मलेरिया, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफ्लाइटिस भी होता है। इन दिनों मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जिन बच्चों को जापानी इंसेफ्लाइटिस का टीका नहीं पड़ा है, उन्हें टीका जरूर ले लेना चाहिए। इनफ्लूएंजा वैक्सीन भी मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए लिया जा सकता है। बुखार तीन दिन से अधिक रहे तो चिकित्सक से मिलकर जांच जरूर करा लेनी चाहिए।
बरसात में सेहतमंद रहने के लिए आपको विशेष सावधानियां रखना चाहिए, इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि इस मौसम में पाचन तंत्र से संबंधित कौन-कौन सी समस्याएं अधिक होती हैं और इनसे कैसे निपटा जाए.
Properties of strong digestive system
एक पुख्ता पाचन प्रणाली के तीन गुण होते हैं- पाचन, अवशोषण, निरसन. यानी स्वस्थ पाचन प्रणाली वही है, जो भोजन को पचाए, पोषक पदार्थों को शरीर में अवशोषित करें और अचांछित पदार्थों को शरीर से बाहर कर दें. इन्हीं बातों से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.
हमारे पेट में मौजूद पाचक एंजाइम और एसिड खाए गए भोजन को तोड़ते हैं. जिससे कि पोषक पदार्थ शरीर में अवशोषित हो पाते हैं. जो भी भोजन हमारे पेट में पूरी तरह नहीं पचता. वह शरीर के लिए बेकार होता है.
भोजन के अच्छी तरह पचने की शुरुआत होती है मुंह से. जी हां, भली प्रकार से चबाया गया भोजन ही भली प्रकार से पच पाता है. क्यों कि इससे भोजन छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटकर लार में मिल जाता है. फिर पेट में ये छोटे-छोटे लार मिले टुकड़े अच्छी तरह से टूट जाते हैं और शरीर को पोषण देने के लिए छोटी आंत में पहुंचते हैं.
आप को न केवल सही भोजन चुनना होगा, उसे अच्छी तरह चबाना होगा, बल्कि आप का पाचन तंत्र भी इस काबिल होना चाहिए कि वह उसे अच्छी तरह तोड़ का पोषक पदार्थों को अवशोषित का सके.
अगर हम जल्दी-जल्दी में खाना निगलते हैं. यदि हम खाने के साथ सादा पानी भी पीते हैं, तो यह भोजन को पेट में ठीक से टूटने नहीं देगा. तो बेहतर यही है कि खाना खाने से कम से कम तीस मिनट पहले व तीस मिनट बाद में ही पानी पिएं.
पाचन तंत्र धीमा हो जाना Digestive system slows down
मानसून में जठराग्नि मंद पड़ जाती है, जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है. बरसात के पानी और कीचड़ से बचने के लिए लोग घरों में दुबके रहते हैं जिससे शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है, ये भी पाचन तंत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है. इससे बचने के लिए हल्के, संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, बारिश के कारण अगर आप टहलने नहीं जा पा रहे हैं या जिम जाने में परेशानी हो रही है तो घर पर ही वर्क आउट करें.
अपच (Indigestion)
बरसात में पाचक एंजाइमों की कार्य प्रणाली भी प्रभावित होती है, इससे भी खाना ठीक प्रकार से नहीं पचता. बरसात में तैलीय, मसालेदार भोजन और कैफीन का सेवन भी बढ़ जाता है, इससे भी अपच की समस्या हो जाती है. नम मौसम में सूक्ष्म जीव अधिक मात्रा में पनपते हैं, इनसे होने वाले संक्रमण से भी अपच की समस्या अधिक होती है.
डायरिया – Food and waterborne diseases
डायरिया एक खाद्य और जलजनित रोग है. ये दूषित खाद्य पदार्थों और जल के सेवन से होता है. वैसे तो ये किसी को कभी भी हो सकते हैं, लेकिन बरसात में इनके मामले काफी बढ़ जाते हैं. दस्त लगना इसका सबसे प्रमुख लक्षण है. पेट में दर्द और मरोड़, बुखार, मल में रक्तआना, पेट फूलना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं.
फूड प्वॉयजनिंग के कारण भी डायरिया हो जाता है.
कब होती है फूड प्वॉयजनिंग – When is food poisoning
फूड प्वॉइजनिंग तब होती है जब हम ऐसे भोजन का सेवन करते हैं, जो बैक्टीवरिया, वाइरस, दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्वों से संक्रमित होता है. बरसात के मौसम में आर्द्रता और कम तापमान के कारण रोगाणुओं को पनपने के लिए एक उपयुक्त वातावरण मिल जाता है. इसके अलावा बरसात में कीचड़ और कचरे के कारण जगह-जगह गंदगी फैल जाती है, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यही कारण है कि बरसात में फूड प्वॉइजनिंग के मामले भी बढ़ जाते हैं. इस मौसम में बाहर का बना हुआ खाना खाने या फिर अधिक ठंडे पदार्थों के सेवन से भी फूड प्वॉनइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है.
बरसात के मौसम में रखे खानपान का खास ध्यान – Special attention to catering during the rainy season
बरसात में पाचन तंत्र को दुरूस्त रखने और बीमारियों से बचने के लिए इन बातों का खास ख्याल रखें-
संतुलित, पोषक और सुपाच्य भोजन का सेवन करें.
कच्चे खाद्य पदार्थ नमी को बहुत शीघ्रता से अवशोषित कर लेते हैं, इसलिए ये बैक्टीरिया के पनपने के लिए आदर्श स्थान होते हैं. इसलिए यही बेहतर रहेगा कि कच्ची सब्जियां वगैरह न खाएं सलाद के रूप में भी नहीं.
इस मौसम में फंफूद जल्दी पनपती है, इसलिए ब्रेड-पाव आदि खाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उसमें कहीं फंफूद वगैरह तो नहीं लगी है.
सड़क किनारे लगी रहडियों और ढाबों पर न खाएं क्यों कि इस तरह के भोजन से संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
ऐसा खाना खाएं, जिससे एसिडिटी कम से कम हो.
बारिश के मौसम में मांस, मछली और मीट खाने से फूड प्वॉइजनिंग की आशंका बढ़ जाती है. इस मौसम में कच्चा अंडा और मशरूम खाने से भी बचें.
बरसात में तले हुए भोजन को खाने का मन तो बहुत करता है, लेकिन उनसे दूर रहना ही बेहतर है क्योंकि इससे पाचन क्षमता कम होती है. कम मसाले और कम तेल वाला भोजन पाचन समस्याओं से बचाता है.
अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ जैसे अचार, सॉस आदि न खाएं या कम खाएं, क्योंकि यह शरीर में पानी को रोकते हैं और इससे पेट फूलता है.
फलों और सब्जियों के जूस का भी कम मात्रा में सेवन करें.
ओवर ईटिंग से बचें और तभी खाएं जब आप भूखा महसूस करें.
ठंडे और कच्चे भोजन की बजाए गर्म भोजन जैसे सूप, पका हुआ खाना खाएं.
फिल्टर किए हुए या उबले पानी का सेवन करें.
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मूसली काली और सफेद दो तरह की होती है। सफेद मूसली काली मूसली से अधिक गुणकारी होती है और वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है। मूसली का 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।
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