वायरल बुखार के लक्षण, और घरेलू इलाज

किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है। यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है, जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षी तंत्री कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है।

इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है।

वायरल फीवर क्या है 

वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है। आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।

डॉ नुस्खे गिलोय घर बैठे आर्डर करने के लिए क्लिक करें All इंडिया डिलीवरी whatsapp no 7455896433

वायरल बुखार होने के कारण 

आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके सिवा और भी कारण होते है जिनके कारण बुखार आता है।

  • दूषित जल एवं भोजन का सेवन
  • प्रदूषण के कारण दूषित वायु में मौजूद सूक्ष्म कणों का शरीर के भीतर जाना
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी
  • वायरल बुखार हुए रोगी के साथ रहना

वायरल फीवर होने के लक्षण 

वायरल फीवर के लक्षण (viral fever symptoms in hindi) सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही लेकिन इसको नजरअन्दाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है। यह हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, यह बरसात के मौसम में ज्यादा होता है।

फ्री आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स ग्रुप जॉइन करने के लिए click करें

https://www.facebook.com/groups/guptrogonkailaj

वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है। मौसम में बदलाव आने के कारण बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती। ऐसे में बच्चों में थकावट, खाँसी, संक्रामक जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण (viral fever symptoms in hindi) देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।

इसके अलावा और भी कुछ आम लक्षण होते हैं-

  • थकान
  • पूरे शरीर में दर्द होना
  • शरीर का तापमान बढ़ना
  • खाँसी
  • जोड़ो में दर्द
  • दस्त
  • त्वचा के ऊपर रैशेज होना
  • सर्दी लगना
  • गले में दर्द
  • सिर दर्द
  • आँखों में लाली तथा जलन रहना।
  • उल्टी और दस्त का होना।
  • वायरल बुखार ठीक होने में 5-6 दिन भी लग जाते है। शुरूआती दिनों में गले में दर्द, थकान, खाँसी जैसी समस्या होती है।

फ्री आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स Telegram ग्रुप जॉइन करने के लिए click करें

https://t.me/joinchat/VirKND8_mGUb8i5N

वायरल फीवर से बचाव के उपाय 

अब तक आपने वायरल फीवर होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर यानि जीवनशैली में और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं।

  • खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए।
  • दूषित पानी एवं भोजन से बचें।
  • पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएँ।
  • वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में आने से बचें।
  • मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनायें रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एवं अच्छी जीवन शैली को अपनायें।
👉अब कोई नहीं होगा समय से पहले गंजा बालों की समस्या भी होगी दूर
Norogi keshnath capsule Oil kit गंजेपन में लाभदायक, नए बाल उगाने में असरदार, बालों का टूटना, झड़ना , रूसी से छुटकारा पाने के लिए घर बैठे Hair Care Kit ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें 👇👇

वायरल बुखार से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्ख़े 

आम तौर पर वायरल फीवर राहत पाने के लिए घरेलू नुस्ख़ो को ही अपनाया जाता है। इनमें वह चीजें होती हैं जो आसानी से घर में मिला जायें या उसको इस्तेमाल करने का तरीका आसान हो। चलिये इनके बारे में विस्तृत से जानते हैं।

वायरल बुखार एक वायरस से संक्रमित समस्या है अत इसमें एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए। यह बुखार कस से कम 3-4 दिन तथा ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार के लिए आयुर्वेदीय चिकित्सा श्रेष्ठ है, यह कूपित दोषों को समावस्था में लेकर आती है।

गिलोय वायरल फीवर से राहत दिलाने में मददगार 

एक अंगुल मोटी या 4-6 लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी में उबालें। 100 मि.ली. शेष रहने तक इस उबालें और पिएँ। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है तथा बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम व बुखार (giloy for viral fever) नहीं होते।

काली मिर्च का चूर्ण वायरल बुखार में फायदेमंद 

एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और एक चम्मच सौंठ के पाउडर को एक कप पानी और थोड़ी चीनी डालकर उबाल लें। जब यह पानी उबलने के बाद आधा रह जाए तो इसे ठंडा कर के पिएँ

शुगर, मधुमेह की समस्या की आयुर्वेदिक उपचार Dr. Nuskhe Sugar Control Kit ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें

https://chatwith.io/s/5ff865a7a8ccd

लौंग का पाउडर वायरल फीवर से राहत दिलाने में  सहायक

2-4 लौंग को पीस कर पाउडर तैयार कर लें अब इसे एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार लें।

लहसुन का तेल वायरल फीवर के दौरान के बदन दर्द से दिलाये राहत 

वायरल बुखार होने अंगों में दर्द एवं ऐंठन होने लगती है ऐसे में लहसुन के साथ पकाए हुए सरसों के तेल से हाथ-पैरों में मालिश (viral fever treatment) करें।

पीपल के पत्ते के चूर्ण का मिश्रण वायरल फीवर में फायदेमंद 

काकड़ासिंगी और पीपल का चूर्ण लें, इन्हें बराबर मात्रा में मिलाएँ और आधे चम्मच की मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ बच्चों को खिलाएँ। इस प्रयोग को दिन में दो बार करें।

सफेद पानी, अनियमित period, कमर दर्द, कमजोरी, अंडे नहीं बनने की समस्या की आयुर्वेदिक उपचार औषधि डॉ नुस्खे नारी  पावर किट ऑर्डर करने के लिए लिंक पर क्लिक करें

हल्दी और सोंठ पाउडर से दूर करें वायरल बुखार 

हल्दी और सोंठ के पाउडर में इम्यूनिटी बढ़ाने  वाला गुण होता है और इसी गुण के कारण इस मिश्रण का सेवन वायरल फीवर के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। अगर आप वायरल बुखार से पीड़ित हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेकर हल्दी और सोंठ पाउडर का सेवन करें।

नींबू और शहद से पाएं वायरल फीवर में लाभ 

 

आयुर्वेद के अनुसार नींबू और शहद दोनों में ही इम्यूनिटी बढ़ाने वाले गुण होते हैं. इसीलिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ वायरल बुखार होने पर नींबू और सहाद के उपयोग की सलाह देते हैं. इसके लिए आप एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन कर सकते हैं. यह मिश्रण शरीर को डिटॉक्स भी करता है और साथ में इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।

कब्ज, पेट गैस, खाना नहीं पाचन, खराब पाचनतंत्र को ठीक करने की आयुर्वेदिक औषधि Dr Nuskhe Kabj upchar kit ऑर्डर करने के लिए लिंक पर क्लिक करें

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए 

आम तौर पर वायरल फीवर आम बीमारी माना जाता है लेकिन जब इसके लक्षण जटिल हो जाये और एक हफ़्ते से ज्यादा दिनों तक फीवर कम नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह ले लेना जरूरी होता है।

आम तौर पर वायरल फीवर होने पर किसी टेस्ट की जरूरत नहीं होती किन्तु यदि बुखार कम न हो डॉक्टर कंप्लीट ब्लड काउन्ट (Complete blood count) कराने की सलाह देते है ताकि रक्त में इंफेक्शन के होने का पता चल सके। कंप्लीट ब्लड काउन्ट (CBC) से यदि स्थिति साफ न हो तो डॉक्टर द्वारा वायरल एन्टीजेन टेस्ट (Viral antigen test) या पॉलीमिरेज चेन रियेक्शन (Polymerase chain reaction) कराने की सलाह दी जाती है।

Dr Nuskhe Horse Power Kit घर बैठे ऑर्डर करने के लिए क्लिक करे

फ्री आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स WhatsApp ग्रुप जॉइन करने के लिए click करें call or WhatsApp on-: 7455-896433

ankit1985

Loading...

Next Post

फिशर और बवासीर में क्या फर्क जानिये

Tue Mar 16 , 2021
बवासीर और एनल फिशर में अंतर  बवासीर बहुत ही पीड़ादायक रोग है। इसका दर्द असहनीय होता है। बवासीर मलाशय के आस-पास की नसों में सूजन के कारण विकसित होता है। गुदा व गुदा नलिका की त्वचा की त्वचा में क्षति होना फिशर का सबसे सामान्य कारण होता है। ज्यादातर मामलों […]
Loading...

Breaking News

Loading...