प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है.
विश्व एड्स दिवस, 1988 के बाद से 1 दिसंबर को हर साल मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य एचआईवी संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढाना, और इस बीमारी से जिसकी मौत हो गई है उनका शोक मनना है. सरकार और स्वास्थ्य अधिकारी, ग़ैर सरकारी संगठन और दुनिया भर में लोग अक्सर एड्स की रोकथाम और नियंत्रण पर शिक्षा के साथ, इस दिन का निरीक्षण करते हैं.
विश्व एड्स दिवस का इतिहास
प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. इसके बाद साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर कार्य करना शुरू किया.
एड्स के लक्षण
-वजन का काफी हद तक काम हो जाना
-लगातार खांसी बने रहना
-बार-बार जुकाम का होना
-बुखार
-सिरदर्द
-थकान
-शरीर पर निशान बनना (फंगल इन्फेक्शन के कारण)
-हैजा
-लसीकाओं में सूजन
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इन 5 तरह के लोगों को हो सकता है एड्स
-एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध
– खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी एफेक्टेड ब्लड का उपयोग
– एचआईवी से ग्रसित मां से बच्चे में जा सकता है वायरस
– किसी डॉक्टर द्वारा एक ही सिरिंज का इस्तेमाल बार-बार करना
– नाई या टैटू की शॉप पर इंफेक्टेड चीजों के इस्तेमाल से.