डायबीटीज दो तरह की होती है। टाइप-1 डायबीटीज और टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-वन डायबिटीज शुगर की बीमारी की उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें रोगी को यह रोग विरासत में मिला हो। यानी उसकी पुरानी पीढ़ी में किसी को यह रोग रहा हो और जेनेटिकली यह उसमें ट्रांसफर हुआ हो। वहीं, टाइप-2 डायबीटीज, शुगर की बीमारी का वह रूप है, जो हमारी खराब जीवनशैली के कारण हमें अपनी चपेट में ले लेता है…
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हरी फलियां हमारे शरीर को कई तरह से पोषण देती हैं। सबसे पहला लाभ तो यह है कि जो लोग अपनी डायट में नियमित रूप से हरी फलियों का सेवन करते हैं, उन्हें कभी भी कब्ज की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। क्योंकि फलियां हमारे शरीर को भरपूर मात्रा में फाइबर देती हैं, यह फाइबर पचे हुए भोजन को आंतों की त्वचा पर जमा नहीं होने देता है और हमारा पेट साफ रहता है।
-आज की पीढ़ी को हरी फलियों का सेवन इसलिए भी अधिक से अधिक मात्रा में करना चाहिए क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग सिटिंग जॉब्स में हैं। शारीरिक गतिविधियां कम होने के कारण अन्य फूड्स को पचाने में शरीर को दिक्कत होती है। जबकि फाइबर का पाचन धीमी गति से और लगातार होता रहता है, इस स्थिति में पेट में दर्द, पेट फूलना और खट्टी डकार आने जैसी समस्याएं बिल्कुल नहीं होती हैं या बेहद कम होती हैं, जिन्हें थोड़ी-सी सतर्कता से ठीक किया जा सकता है।
हरी फलियों से मिलते हैं ये फायदे
-हमारे देश में लगभग 12 महीने हरी फलियों की फसल आती है। ये फलियां रूप और आकार में अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे सेम, सींगरा, मूली की फलियां, सहजन की फली सर्दियों में आती हैं तो ग्वार, बाजरा, सुंदरी की फली, सेऊ की फलियां गर्मी और बरसात के अलग-अलग मौसम में खाने को मिलती हैं। इन सभी तरह की फलियों में फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट के साथ ही विटमिन-B,आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम, मैग्नीज, जिंक और फॉसफोरस जैसे खनिज होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हमारे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाकर ब्लड फ्लो को मेंटेन करने, क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत करने का काम करते हैं। ताकि हमारा शरीर स्वस्थ रह सके।
मोटापा नहीं बढ़ने देती हैं फलियां
–अगर लॉकडाउन के चलते आप भी अपने बढ़ते हुए मोटापे से परेशान हैं तो एक या दो टाइम नहीं बल्कि अपनी तीनों टाइम की डायट में अलग-अलग तरह की फलियों को शामिल कर लीजिए। क्योंकि फलियां पूरी तरह फैट फ्री होती हैं। ऐसे में ये शरीर में चर्बी तो जमा नहीं होने देती हैं लेकिन शरीर को पूरी ऊर्जा देती हैं। इससे हम ऐक्टिव भी बने रहते हैं और हमारा फिगर भी मेंटेन रहता है।
-हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, हरी फलियों में शरीर को हानि पहुंचानेवाला सैचुरेटेड फैट नहीं होता है। ऐसा आमतौर पर उन सभी तरह की डायट के साथ होता है, जो हमें पौधों से प्राप्त होती हैं। यदि आप तीनों से समय के भोजन में एक-एक कटोरी हरी फलियां खाएंगे तो एक समय पर आपको करीब 115 कैलोरीज, 20 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 7 से 8 ग्राम फाइबर, 8 ग्राम प्रोटीन और मात्र 1 ग्राम फैट मिलेगा। यानी पोषण से जुड़ी शरीर की सभी जरूरतें पूरी वो भी बिना चर्बी बढ़ाए।
डायबीटीज टाइप-2 का खतरा कम
-अमेरिकन डायबीटीज असोशिएशन की न्यूट्रिशन थेरेपी में डायबीटीज टाइप-2 के मरीजों को अधिक से अधिक मात्रा में पौधों से प्राप्त होनेवाले खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। इनमें फल, सब्जियां, अनाज, बीज और फलियां और कुछ खाए जानेवाले फूल शामिल हैं। हरी सब्जियां और फल-फूल खाने से हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और डायबीटीज टाइप-2 का खतरा कम होता है।
शुगर रखे नियंत्रित
-हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज टाइप-2 किसी भी व्यक्ति को विरासत में मिलनेवाला रोग नहीं है। यानी इस बीमारी से बचकर रहना हर व्यक्ति के अपने हाथ में होता है। जो लोग आराम तलब होते हैं, हर समय केवल लेटे रहना या बैठे रहना पसंद करते हैं, शारीरिक गतिविधियां बिल्कुल नहीं करते हैं, यह बीमारी उन लोगों को अपना शिकार बनाती है।
-अगर आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो अपने खाने में अधिक से अधिक मात्रा में हरी सब्जियों और फलियां का सेवन शुरू करें। अगर आप इस बीमारी का शिकार हो चुके हैं तब भी लेगम्स यानी फलियों के नियमित सेवन से अपनी बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं और पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
खाने में फलियां खाने से नहीं बढ़ता है वजन
हरी फलियों में और इन्हें सुखाने के बाद स्टोर किए गए इनके बीजों में प्रोटीन, फाइबर और धीमी गति से डायजेस्ट होनेवाला कार्बोहाइड्रेट होता है। जब हम इन्हें अपने भोजन में लेते हैं तो बहुत ही सीमित मात्रा में इनका सेवन करने के बाद हमारा पेट भर जाता है और हमें संतुष्टि का अहसास भी होता है। जबकि इसके ठीक उलट यदि हम फास्ट फूड का सेवन करते हैं या डीप फ्राइड चीजें अधिक खाते हैं तो हमारी यह संतुष्टि कुछ ही देर की होती है और हमारे शरीर को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। यह कीमत डायबिटीज टाइप-2 नामक बीमारी भी हो सकती है.
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पुरुषों की कमजोरी मिटाने के देसी तरीके
मूसली काली और सफेद दो तरह की होती है। सफेद मूसली काली मूसली से अधिक गुणकारी होती है और वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है। मूसली का 3-3 ग्राम चूर्ण सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।
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पुरुषों के लिए सफेद मूसली बहुत ही लाभकारी होती है। नोरोगी सफेद मूसली कैप्सूल के सेवन से पुरुषों की शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है। नोरोगी सफेद मूसली कैप्सूल को Chlorophytum (क्लोरोफ़ायटम) कहा जाता है। यह एक प्रकार का पौधा है, जिसके अंदर छोटे सफ़ेद फूल होते है। यह विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए लाभदायक होती है जिनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो और कामेच्छा कम होती है।
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