जानिए स्वस्थ होने के आयुर्वेदिक नुस्खे

हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे –

 250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो  ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4  पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे। प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा। उपर्युक्त उपाय संकलित किए गए हैं, इन्हें आजमाने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

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सामग्री –

  1. ठंडा पानी।
  2. दो या तीन कप ओटमील।

विधि –

  1. सबसे पहले एक बाल्टी या बाथ टब लें।
  2. अब उसमे ठंडा पानी डालें।
  3. डालने के बाद अब उसमे ओटमील मिला दें।
  4. फिर उसमे प्रभावित क्षेत्र को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें।

ओटमील का इस्तेमाल कब तक करें –

खुजली से राहत पाने के लिए इस प्रक्रिया को रोज़ाना करें।

ओटमील के फायदे –

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ठंडा पानी आपको राहत देगा और त्वचा के छिद्रों को सिकोड़कर असहजता को कम करेगा। इसमें सूजनरोधी गुण भी होते हैं। ओटमील में स्टार्च और बीटा-ग्लूकन्स पाया जाता है जो त्वचा को किसी भी संक्रमण से सुरक्षित रखता है। इसमें फेनोल्स भी होते हैं जिनमे एन्टिओक्सीडेटिव और सूजनरोधी प्रभाव भी मौजूद होते हैं।

सामग्री –

  1. बेकिंग सोडा (जितनी ज़रूरत हो उतना)।
  2. पानी।

विधि –

  1. एक पेस्ट तैयार करने के लिए सबसे पहले पानी में बेकिंग सोडा मिला दें।
  2. अब इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
  3. सूखने तक का इंतज़ार।
  4. कुछ देर बाद पानी से त्वचा को धो लें।
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बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कब तक करें –

इस प्रक्रिया को पूरे दिन में दो बार ज़रूर इस्तेमाल करें।

बेकिंग सोडा के फायदे –

बेकिंग सोडा में मौजूद एल्कलाइन त्वचा को राहत दिलाता है और खुजली या इरिटेशन को दूर करता है। इसका इस्तेमाल कुछ दिनों तक करने से खुजली और अन्य समस्याएं कम होती नज़र आएंगी।

सामग्री –

ताज़ा एलो वेरा जेल।

विधि –

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  1. सबसे पहले एलो वेरा की पत्ती से जेल निकालें और फिर उसे प्रभावित क्षेत्र पर लगा लें।
  2. अब इसे 20 से 30 मिनट तक ऐसे ही लगाकर रखें।
  3. फिर त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।

एलो वेरा का इस्तेमाल कब तक करें –

अच्छा परिणाम पाने के लिए आप एलो वेरा जेल का इस्तेमाल पूरे दिन में दो बार करें।

एलो वेरा के फायदे –

एलो वेरा में ग्लुकोमननांस (glucomannans) पाया जाता है जो इन समस्याओं का इलाज करने में मदद करता है। इसमें मॉइचराइज़िंग और सूजनरोधी गुण भी मौजूद होते हैं। एलो वेरा जेल पित्ती के लिए बहुत ही प्रभावी घरेलू उपाय है।

पहली सामग्री –

Norogi Hunimun Oil उन पुरुषों के इस्तेमाल के लिए बनाई गयी है जिन्हें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की और लिंग की कमजोरी की शिकायत होती है। Norogi Hunimun Oil शरीर के कुछ हिस्सों में रक्त वाहिकाओं की दीवारों की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करती है।
यह रक्त के बहाव के साथ उनके निजी भाग में जाती है जो यौन सम्भन्ध बनाते साय लिंग को ज़्यादा देर तक खड़ा रखने में मदद करती है। Norogi Hunimun Oil तभी तेज काम करती है जब आप यौन उत्तेजना की स्तिथि में होते हैं।
 Norogi Hunimun Oil को यौन सम्बन्ध बनाने से 1 घंटे पहले ले सकते हैं। यौन सम्भन्ध बनने के बाद लिंग से तनाव खत्म हो जाता है।
हाथों पर Norogi Hunimun Oil डालें और लिंग के भाग पर लगाएं। इस दौरान हल्के-हल्के दबाव के साथ मालिश करें।
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डेविल क्लो कैप्सूल्स या टेबलेट।

विधि –

  1. पित्ती से राहत पाने के लिए रोज़ाना 500 मिलीग्राम डेविल क्लो के हर्ब कैप्सूल्स लेने से पित्ती के लक्षणों को रोकने में मदद मिलेगी।
  2. डेविल क्लो का इस्तेमाल कब तक करें –
  3. जब तक आपको इस समस्या से राहत न मिल जाए तब इन हर्बल कैप्सूल्स को लेते रहें।

डेविल क्लो के फायदे –

डेविल क्लो का इस्तेमाल आमतौर पर एलर्जी रिएक्शन के इलाज के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद हरपागोसाइड (Harpagoside) सामग्री पित्ती का इलाज करने में मदद करती है। इसमें सूजनरोधी गुण भी मौजूद होते हैं।

दूसरी सामग्री –

  1. एक चम्मच हल्दी पाउडर।
  2. एक ग्लास पानी।

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विधि –

  1. सबसे पहले हल्दी पाउडर को पानी में डाल लें और फिर इसे पी जाएँ।
  2. पूरे दिन में दो बार इस मिश्रण को पियें।
  3. आप इसका पेस्ट भी तैयार कर सकते हैं और फिर इस पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर लगा सकते हैं।

हल्दी का इस्तेमाल कब तक करें –

इस प्रक्रिया को पूरे दिन में दो बार ज़रूर लगाएं।

हल्दी के फायदे –

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक बहुत ही फायदेमंद बायोएक्टिव कम्पोनेंट है। हल्दी में सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीहिस्टामिन गुण होते हैं। पित्ती के लिए ये एक बहुत ही बेहतरीन घरेलू उपाय है।

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अश्वगंधा पुरुषो के लिए तो लाभदायक होता ही है साथ ही महिलाओ के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके पोधों के जड़ो में एंटीबाक्टेरियाल और एंटीफ़ंगल होता है जिससे ज़्यादातर इन्फ़ैकशन को ख़तम करने मे असरदर माना जाता है।महिलाओ मे इन्फ़ैकशन होना आम बात है।
 गर्भाशय के सूजन को भी कम करने में ये आयुर्वेद हेर्ब माना जाता है। जिन महिलाओ की योनि में से सफ़ेद चिपचिपा प्रदार्थ निकलता है उन्हे भी अश्वगंधा खाने से बहुत फाइदा मिलता है।
(डॉ. नुस्खे )
Delhi 7455896433
वीर्य गाढ़ा करने के लिए और लिंग को मजबूत करने के लिए Ashwagandha का प्रयोग बहुत लाभदायक होता है
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ankit1985

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