ऐसी मान्यता ही की पहाड़ो में वास करने वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादे पूरी करती है. जो भी भक्त माता वैष्णो के दरबार में सच्चे मन से जाता है माता उसके सभी दुखो को हर लेती है. ऐसा ही सच्चा दरबार है माता विष्णो देवी का.
माता के बुलावे आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से देवी माता के दर्शन को पहुचते है. माता विष्णो देवी का मंदिर हमारे हिन्दू सनातन धर्म का सबसे शक्तिशाली धार्मिक स्थल है.
माता का यह मंदिर उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर राज्य में त्रिकुट पहाड़ो पर बसा हुआ है, उच्चे पहाड़ो पर स्थित होने के कारण इसकी भव्यता एवम सुंदरता देखते है बनती है.
हर साल माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए लाखो भक्तो का जमावड़ा यहां लगता है. वैष्णो देवी का मंदिर भारत का दुसरा सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक स्थल है.
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1 . माता वैष्णो देवी के मंदिर की जो सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है वह है खुद माता वैष्णो देवी का मंदिर और वहां की गुफा है, क्योकि आज तक माता के मंदिर व उनके गुफा के निमार्ण से जुड़ा इतिहास कोई नहीं जनता है यह गुफा एवम मंदिर सोनो कैसे अस्तित्व में आये यह आज तक सिर्फ एक राज ही है.खासकर माता वैष्णो देवी की गुफा अपने आप में एक बहुत बड़ा रहस्य है तथा अपने आप में अनेक रहस्यो को समेटे हुए है.
2 . यदि हम माता वैष्णो देवी के उत्तपति की बात करे तो शास्त्रो के अंदर जब भी माता वैष्णो देवी से जुड़ा कोई भी रहस्य खोजा जाता है तो यही पता चलता है की माता वैष्णो देवी की उत्त्पति भगवान विष्णु जी के अंश से हुई थी.
3 . माता वैष्णो देवी का मंदिर हमारे हिन्दू सनातन धर्म में हिन्दुओ का दुसरा सबसे अधिक प्रसिद्ध मंदिर है . भगवान तिरुपति वेंकेटेश्वर का मंदिर भारत में पहले नम्बर पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाला धार्मिक स्थान कहा जाता है.
4 . मंदिर के कुछ दुरी पर ही एक भवन है. यहाँ माता विष्णो देवी ने भैरवनाथ का वध किया था. भैरवनाथ द्वारा अज्ञानता में देवी माता का अपमान हुआ जिसकी सजा माता ने उसका सर काट कर उसे दी परन्तु बाद में उसे मुक्ति भी प्रदान करि. माता की गुफा में तीन दिव्य पिंडिया विराजित है जिनके रूप में देवी काली, देवी सरस्वती एवम, देवी लक्ष्मी विराजमान है.
5 . माता वैष्णो देवी के दरबार में तीन गुफा होकर जाती है और इन गुफाओ की मुख्य यह ही की यह बहुत सँकरी है. जो माता के दरबार तक जाने की प्राकृतिक गुफा थी उसे सुरक्षा की दृष्टि से बंद किया गया है परन्तु मानवनिर्मित दो गुफाए माता के दरबार में जाने के लिए खुली हुई है.
6 . कुछ भक्त माता के मंदिर में आते तो है परन्तु वह सबसे बड़ी गलती यह कर जाते है की वह सिर्फ माता के ही दर्शन करते है. लेकिन यहां मान्यता है की यदि माता के दरबार के बाद भैरव के दर्शन नहीं किये जाते तो पूजा का फल नहीं मिलता. ऐसा इसलिए है की माता वैष्णो देवी ने भैरव देवता को यह वरदान दिया की मेरे दर्शन के बाद यदि भक्त तुम्हारे दर्शन करेगा तभी उसकी पूजा पूरी होगी.
7 . यदि हम वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन करे तो माता के दरबार में पहुचने के लिए जो चढाई भक्त को चढ़नी पड़ती है उससे भी भक्त की अनेको बीमारिया दूर हो जाती है.
माता वैष्णो देवी का मंदिर करीब 15 हजार फुट की उचाई पर स्थित है तथा यह चढाई चढ़ने से शरीर का हर एक अंग काम करने लगता है.
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8 . यह आने वाले अधिकतर भक्त यह नहीं जान पाते की आखिर माता का गुफा में निवास स्थान किस जगह पर है. लेकिन मान्यता है की माता वैष्णो देवी इस गुफा में हर जगह विद्यमान है . जो प्राकृतिक निर्मित मुख्य गुफा है वह करीब 98 फिट लंबी है . यहां माता का सदैव विराजमान रहता है.
9 . इसके साथ ही यह भी मान्यता है की माता वैष्णो देवी के मंदिर में हनुमान जी भी हाजिरी देते है. शास्त्रो में यह वर्णन मिलता है की जब भैरवनाथ ने माता को युद्ध के लिए ललकारा था तब सर्वप्रथम माता की ओर से हनुमान जी ने भैरवनाथ के साथ युद्ध लड़ा था.जब हनुमान जी भैरवनाथ के साथ युद्ध में थक कर निढाल हो गए तब स्वयम सन्तोषी माता भैरवनाथ के साथ युद्ध के लिए आयी व भैरव का सर काट दिया.
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