जामुन का सेवन डायबिटीज और एनीमिया से ग्रस्त मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, यह ब्लड शुगर लेवल को तेजी से कम कर नियंत्रित करने में मदद करता है।जानते हैं जामुन डायबिटी के मराजों के लिए कैसे लाभकारी है।
मुख्य बातें
- डायबिटीज को कहा जाता है साइलेंट किलर, यह दिल संबंधी बीमारियों को देता है जन्म।
- एंटी डायबिटीक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेंट्री गुणों से भरपूर होता है जामुन।
- नियमित तौर पर इसका सेवन शुगर लेवल में 30 प्रतिशत कर सकता है कमी।
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खट्टा मीठा जामुन का फल किसी औषधि से कम नहीं होता। जी हां जामुन ही नहीं बल्कि इसके फल, झाड़, पत्ते और गुठली भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है। जामुन खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उससे कहीं ज्यादा यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। एंटी डायबिटीक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेंट्री गुणों से भरपूर जामुन ना केवल बीमारियों से निजात दिलाता है बल्कि यह कई गंभीर बीमारियों के संक्रमण से दूर रखने में भी कारगार होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक एक कप जामुन में 20 से 25 ग्राम कैलोरी पाई जाती है। वहीं जामुन का सेवन डायबिटीज और एनीमिया से ग्रस्त मरीजों के लिए रामबांण सिद्ध होता है, यह ब्लड शुगर लेवल को तेजी से कम कर नियंत्रित करने में मदद करता है। ऐसे में आइए जानते हैं यह मौसमी फल डायबिटीज के मरीजों के लिए कैसे लाभदायक होता है।
दुनियाभर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। डायबिटीज के दौरान रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना बंद हो जाता है। इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। जामुन डायबिटीज टाइप 2 से ग्रस्त मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। यह शरीर के स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। इसमें भरपूर मात्रा में जी आई नामक तत्व पाया जाता है, जो डायबिटीज के दौरान हमारे प्यास और बार बार पेशाब जाने के लक्षणों को कम करता है। इतना ही नहीं जामुन की छाल और गुठली भी मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए लाभदायक होता है।
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जामुन में मौजूद पोषक तत्व
जामुन एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेंट्री गुणों के साथ फाइबर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, आयरन और विटामिन ए, बी, सी से भरपूर होता है। वहीं आपको बता दें जामुन में एंथोसायनिन नामक एक फ्लेवोनाइड भी पाया जाता है, जो जामुन को इसका बैंगनी रंग देता है। साथ ही इसमें फाइटोकेमिकल्स जैसे ऑक्सैलिक एसिड, गैलिक एसिड और टैनिक एसिड भी पर्याप्त मात्रा में होता है।
जामुन कैसे है शुगर के मरीजों के लिए लाभदायक
जामुन का ग्लाइमेक्स इंडेक्स कम होने से यह डायबिटीज की जटिलताओं को कम करने में प्रभावी होता है। एंटीडायबिटीज गुणों से भरपूर होने कारण यह शुगर लेवल को 30 प्रतिशत घटा सकता है। यह शुगर को स्टार्च में बदलने से रोकता है तथा इसका जंबोलिन नामक ग्लूकोज पेशाब में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है।
एक अध्ययन के दौरान जामुन के विभिन्न भागों का उपयोग मधुमेहरोधी प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए किया गया। जिसमें यह पाया गया कि जामुन शुगर को स्टार्च में बदलने की दर को कम करता है या यूं कह सकते हैं कि यह हाइड्रोलिसिस को धीमा कर देता है। इस प्रकार यह भोजन के बाद ग्लूकोज की अचानक वृद्धि को रोकता है और इसको नियंत्रित करने में मदद करता है।
जामुन में मौजूद फाइटोकैमिकल्स जैसे एल्कलॉइड, फ्लेवोनॉइड्स, प्रोटीन, स्टेरॉयड, टैनिन, ग्लाइकोसाइड्स सैपोनिन्स निरोधात्मक प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है।
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जामुन में मधुमेहरोधी गुण
एक अध्ययन के मुताबिक जामुन के गिरी में 86.2 प्रतिशत, बीज में 79.4 प्रतिशत और गूदे में 53.8 प्रतिशत मधुमेह रोधी गुण पाया जाता है। इस डेटा का मूल्यांकन भारत के गिर वन में पाए जाने वाले छ: जामुन की प्रजातियों से किया गया था, जो अलग अलग आकार और वजन के थे।
क्या होता है प्रीडायबिटीज, जामुन कैसे होता है लाभकारी – प्री-डायबिटीज ऐसी डायबिटीज को कहा जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज से पहले होता है। लेकिन प्री डायबिटीज के मरीजों में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इस स्थिति के दौरान व्यक्ति डायबिटीज के चपेट में तो आ जाता है लेकिन उसके ब्लड में ब्लड शुगर का लेवल इतना भी ज्यादा नहीं होता कि टेस्ट के दौरान इसका पता लगाया जा सके। इस स्थिति में आप जीवनशैली में परिवर्तन करके और खानपान में बदलाव करके इस साइलेंट किलर से निपट सकते हैं। जामुन का सेवन व्यक्ति को प्रीडायबिटीज के चपेट से निकाल सकता है। जामुन का ग्लाइमेक्स इंडेक्स कम होता है, जो शुगर लेवल को 30 प्रतिशत घटा सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक जामुन का काढ़ा ब्लड में शुगर लेवल को तेजी से कम करने में कारगार होता है।
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डायबिटीज में जामुन के बीज के फायदे
एक शोध के मुताबिक जामुन के बीज में एंथोसायनिन, ट्राइटरपेनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, ओलिक एसिड, सैपोनिन फ्लेवोनोइड्स जैसे फाइटोकैमिकल्स मौजूद होते हैं। जो अग्नाशय के बीटा सेल को प्रभावित करने और इंसुलिन प्रतिरोध को रोकने लिए जिम्मेदार होता है तथा जामुन के बीज में जाम्बोलिन और जाम्बोसिन नामक यौगिक पाया जाता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने और ग्लूकोज के स्तर को बेहतर करने में मदद करता है।
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ग्लाइमेक्स इंडेक्स होता है कम
एक शोध के मुताबिक जामुन का ग्लाइमेक्स इंडेक्स 55 से नीचे यानि 48.1 होता है। इसलिए इसे कम ग्लाइमेक्स इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाता है। इस फल के सेवन से ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे धीरे बढ़ता है और मधुमेह को नियंत्रित करने में कारगार होता है।
एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर
जामुन एंथोसायनिन और टैनिन जैसे फाइटोकैमिकल्स से भरपूर होता है, जो इसके खट्टे मीठे स्वाद और बैंगनी रंग के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। वहीं जामुन में विटामिन ए, बी, सी भी पाया जाता है, जो एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों का बाहर निकालने में मदद करता है और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कैलोरी की कम मात्रा
जामुन में बहुत कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। एक शोध के मुताबिक इसमें कुल फैट की मात्रा 0.2 ग्राम, सोडियम 14 मिली.ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 16 ग्राम, प्रोटीन 0.7 ग्राम, कैल्शियम 19 मिलीग्राम, आयरन 0.19 मि.ग्रा और पोटेशियम 79 मिलीग्राम पाया जाता है। यह डाटा दर्शाता है कि अधिक जामुन का सेवन करने के बाद भी आप अपनी दैनिक कैलोरी की मात्रा को संतुलित रख सकते हैं। हालांकि आपको एक दिन मे अधिक जामुन खाने से बचना चाहिए। क्योंकि अधिक जामुन के सेवन से उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, पेट फूलना, शरीर में दर्द आदि समस्या हो सकती है।
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मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए जामुन का सेवन कैसे करें
जामुन खाने के बाद अक्सर हम इसकी गुठली को कचरा समझकर कूड़े में फेंक देते हैं। लेकिन आज इसके फायदे जानने के बाद आप इसको सोने की तरह संजो कर रखना शुरु कर देंगे। ऐसे में आइए जानते हैं जामुन की गुठली का सेवन कैसे करें।
जामुन खान के बाद सबसे पहले गुठली को अच्छी तरह धो लें, फिर इसे धूप में 3 से 4 दिनों तक अच्छी तरह सुखाएं। अब इसका छिलका उतार लें, छिलका उतारने के बाद आपको अंदर का हिस्सा पिस्ते की तरह नजर आएगा। इसके भीतरी भाग को इकट्ठा कर लें, जो हल्के हरे रंग का नजर आएगा। हरे भाग को दो हिस्सों में तोड़ लें और फिर से इसे थोड़े दिनों के लिए धूप में सूखने के लिए छोड़ दें। जब बीज अच्छी तरह सूख जाए तो इसे पीसकर दरदरा पाउडर बना लें। पाउडर को छलनी से आंटे के तरह अच्छे से चालें, इसके बाद चलनी में जो दरदरा भाग बचे उसे फिर से पीसें जब तक वह अच्छे से ना पिस जाए। अब इस चूर्ण को किसी एयर टाइट कंटेनर में भरकर रख लें और चिकित्सक के दिशानिर्देशों के अनुसार इसका सेवन करें। ध्यान रहे अधिक मात्रा में इसके बीज का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। इसलिए सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें।
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ऐसे करें सेवन
आमतौर पर डॉक्टर इसके चूर्ण का सेवन खाली पेट करने की सलाह देते हैं। ऐसे में आप एक गिलास हल्के गुनगुने पानी में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
जामुन का रस कैसे तैयार करें
इस लेख के माध्यम से आज हम आपको जामुन का जूस बनाने का सबसे आसान और शानदार तरीका बताएंगे। इसके लिए आप सबसे पहले एक कटोरी पका हुआ ताजा जामुन लें, अब उसे धाकर बीज और गूदे को अलग कर दें। फिर 3 से 4 चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच जीरा पाउडर, एक चुटकी नमक, एक चुटकी काला नमक डालें और इसको ग्राइंडर में अच्छी तरह पीस लें। इसके बाद इसमें करीब आधा गिलास पानी डालकर एक बार और इसे ग्राइंडर में पीस लें। अगर जूस गाढ़ा लगे तो इसमें और पानी मिला सकते हैं।
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