अच्छी नींद आना क्या आपके लिए भी सपने जैसा है ? कम ही लोग हैं, जो आज के समय में ये कहें कि ‘मुझे आज अच्छी नींद आई’। इसका कारण है कि हम लोगों के काम करने का तरीका बिल्कुल बदल चुका है। भागदौड़ भरी जिंदगी में इतने काम होते हैं कि आराम करने का समय कम ही लोगों को मिल पाता है। देर रात तक काम करने के कारण नींद का समय भी तय नहीं हो पाता है। ऐसे में अच्छी नींद की कल्पना करना बहुत मुश्किल हो गया है। पहले लोग काम और नींद के बीच अच्छी तरह से बैलेंस बना लेते थे लेकिन अब नींद लेने के समय में काम को प्राथमिकता दी जाती है। शरीर के लिए अच्छी नींद दवा की तरह काम करती है। अगर आप नींद में कमी कर देंगे या फिर रोजाना नींद पैटर्न में बदलाव करेंगे, तो शरीर को रिलेक्स नहीं मिल पाएगा और आपको शारीरिक के साथ ही मानसिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ेगा। आपके मन में कुछ प्रश्न आ सकते हैं, जैसे कि नींद कितनी लेनी चाहिए, कब लेनी चाहिए, कौन-से फैक्टर नींद को प्रभावित करते हैं, अच्छी नींद की जरूरत आखिर क्यों है ? अगर आपके मन में भी ये सवाल हैं, तो हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अहम जानकारी देने की कोशिश करेंगे। जानिए नींद लेने और अच्छी नींद लेने में क्या अंतर है ?
नींद लेने और अच्छी नींद लेने में क्या है अंतर?
अब आप सोच रहे होंगे कि नींद तो नींद होती है, नींद लेने या अच्छी नींद लेने में भला क्या फर्क हो सकता है ? अगर आपके मन में ये बात आई है, तो आपको इस बारे में जानकारी आवश्यकता है। जी हां ! अच्छी नींद का मतलब पूरी नींद लेने से है। नींद लेने में आधी-अधूरी नींद या फिर कम समय के लिए ली गई नींद शामिल है, वहीं अच्छी नींद पर्याप्त समय के लिए ली जाती है। आपको मालूम होगा कि बच्चों के सोने के लिए पर्याप्त समय अलग होता है, वहीं वयस्कों के लिए और ओल्ड पर्सन के लिए पर्याप्त नींद लेने का समय अलग होता है। अगर आप नीचे दिए गए पॉइंट से एग्री करते हैं, तो इसका मतलब है कि आपको अच्छी नींद आती है। अगर ऐसा नहीं है, तो अब आपको अच्छी नींद के लिए प्रयास करना शुरू कर देना चाहिए।
- आपको लेटने के बाद 15 से 20 मिनट में नींद आ जाती है।
- आप 24 घंटे में कम से कम सात से नौ घंटे की नींद लेते हैं।
- आप जब सोते हैं, तो आधी रात में आपकी नींद नहीं टूटती है।
- आपको रात में सोने का मन करता है।
- जब आप सोकर उठते हैं, तो रिफ्रेश महसूस करते हैं।
- आपको वर्किंग आवर में नींद नहीं आती है और साथ ही आप अच्छे मूड के साथ काम करते हैं।
- आपके परिवार के किसी भी सदस्य ने आपको स्नोरिंक (खर्राटे ) करते हुए , सोते समय तेज सांस लेते हुए या फिर नींद में बोलते हुए नहीं सुना है।
जानें हेल्दी लाइफ के लिए अच्छी नींद की जरूरत क्यों है?
अच्छी नींद क्यों जरूरी है ? ये बात आपको भी अब समझ आ ही गई होगी। एडल्ट के कंपेयर में बच्चे ज्यादा नींद लेते हैं। उम्र बढ़ने के साथ ही कई ऐसे कारण होते हैं, जो नींद में रुकावट पैदा करने का काम करते हैं। बुजुर्गों को रात में कम नींद आती है। ऐसा उनकी बीमारी के कारण भी हो सकता है। अगर तय समय के अनुसार नींद नहीं ली गई, तो शरीर में कई प्रकार की बीमारियां भी जन्म ले सकते हैं। अगर अच्छी नींद नहीं आती है, तो आपको अगले दिन इन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है,
- चिड़चिड़ाहट
- याददाश्त की समस्या या भूलने की बीमारी
- तनाव महसूस होना
- नींद पूरी न होने के कारण एक्सीडेंट की अधिक संभावना
आखिर कितना सोना चाहिए?
उम्र के अनुसार सोने का समय भी बदल जाता है। नवजात शिशु से लेकर बुजुर्गों तक के लिए सोने का एक तय समय होता है। अगर आपको दिए गए समय से कम नींद आ रही है या फिर आप कम नींद ले रहे हैं, तो इसे गुड स्लीप नहीं कहा जाएगा। जानिए किस उम्र से किस उम्र तक के लोगों को, कितनी नींद लेनी चाहिए।
0 –3 साल के शिशु के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 14 से 17 घंटे
4 – 11 (Infant) महीने के शिशु के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे: 12 – 15 घंटे
1 -2 (Toddler) साल के बच्चों के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 11 – 14 घंटे
3 – 5 (Preschool) साल के बच्चो के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 13 घंटे
6 – 13 (School-age) साल के बच्चों के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 9-11 घंटे
14 -17 (Teen) साल के बच्चों के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 7 – 9 घंटे
18 – 25 (Young Adult) साल के एडल्ट के लिए अच्छी नींद के लिए जरूरी घंटे : 7 – 9 घंटे
26 – 64 (Adult) साल के लोगों के लिए उपयुक्त नींद के घंटे : 7 – 9 घंटे
अदर एडल्ट -65 साल से अधिक उम्र के लिए : 7 – 8 घंटे
बच्चों के लिए जरूरी नींद
बड़ों के लिए जरूरी नींद
अगर हम आपसे पूछें कि आप रोजाना कितने घंटे सोते हैं, तो आप जवाब शायद सात या आठ घंटे होगा। बॉडी को रिलैक्स करने के लिए सोना बहुत जरूरी होता है। एडल्ट में नींद एक तय समय पर आती है और साथ ही समय पूरा होने पर नींद खुल भी जाती है। नींद का आना मेलाटोनिन हार्मोन से जुड़ा हुआ है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि महिलाओं और पुरुषों के स्लीप पैटर्न डिफरेंट हो सकते हैं। सर्केडियन रिदम एक तरह की प्रोसेस है, जो स्लीप वेक साइकिल को रेगुलेट करने का काम करती है। ये एक तरह का बायोलॉजिकल प्रोसेस है। अगर आप किसी प्रकार का स्ट्रेस न लें और अच्छी लाइफस्टाइल अपनाएं तो आपको रात में अच्छी नींद आ सकती है। वहीं, जो लोग दिन में ज्यादा सोते हैं, उनकी रात की नींद खराब हो सकती है। जो एडल्ट बिना स्ट्रेस लिए अच्छी लाइफस्टाइल अपनाते हैं, उन्हें अच्छी के साथ ही गहरी नींद भी आती है और शरीर को रिफ्रेश करने में अहम रोल निभाती है। एडल्ट को रात में सात से नौ घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।
बुजर्गों के लिए जरूरी नींद
उम्र बढ़ने के साथ ही स्लीप पैटर्न में भी अंतर होता है। मिडिल एज में स्लो स्लीप वेव में रिडक्शन होता है। उम्र बढ़ने के साथ ही नींद में कमी आने लगती है। करीब 1000 लोगों में की गई स्टडी में ये बात सामने आई है कि बुजुर्गों को 24 घंटे में केवल सात घंटे ही नींद आती है। बुजुर्ग पुरुष महिलाओं की अपेक्षा अधिक सोते हैं। बुजुर्गों में कम नींद के कई कारण हो सकते हैं। कम नींद लेने के कारण शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि जवान लोग गहरी नींद लेते हैं, जबकि बुजुर्गों के लिए ये आसान नहीं होता है। अधिक उम्र होने पर शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन भी कम बनने लगता है, जो नींद में कटौती का काम करता है। अमेरिका नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार ‘एडल्ट लोगों को सात से नौ घंटे की नींद चाहिए होती है, वहीं बुजुर्गों को सात से आठ घंटे की नींद की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ कई बीमारियां भी नींद उड़ाने का काम करती हैं।
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हेल्दी स्लीप क्यों नहीं ले पा रहे हैं आप?
हेल्दी स्लीप न ले पाने के एक नहीं बल्कि बहुत से कारण हो सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति को किसी बात की चिंता सता रही है, तो उसकी रातों की नींद उड़ सकती है। काम का अधिक प्रेशर भी इंसान को सोने नहीं देता है। आपने महसूस किया होगा कि जब आप रात में सोने के लिए बेड में जाते हैं, तो आपके मन में दिन भर की गतिविधिया और अगले दिन क्या करना है, इस बात की चिंता लगी रहती है। यहीं कारण है कि नींद नहीं आती है। लंबे समय से स्ट्रेस के कारण डिप्रेशन की समस्या होने पर भी नींद प्रभावित होती है। जो लोग नींद को भगाने के लिए चाय अधिक पीते हैं, उनकी नींद भी डिस्टर्ब होती है। नींद आने के लिए बाहरी वातावरण के सुकून के साथ ही मन में भी सुकून की जरूरत पड़ती है। अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो अनिद्रा की समस्या शुरू हो जाती है। अगर आपको अभी तक नहीं पता चल पाया है कि आपकी अनिद्रा का क्या कारण है, तो आपको नीचे दिए गए कारणों को जरूर पढ़ना चाहिए।
चिंता और तनाव के कारण
जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि नींद न आने की समस्या के कारण शरीर में कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी भी बारे में अधिक सोचने के कारण आपको नींद न आने की समस्या हो सकती है। स्ट्रेस और टेंशन आज के जीवन का सच है। यहीं कारण है लोग ठीक से सो नहीं पा रहे हैं। अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित लोगों की सोच में बार-बार बदलाव होता है, जो नींद न आने का कारण बन जाता है। इस कारण से मस्तिष्क में भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
शराब और नशे की लत के कारण
जिन लोगों को रोजाना शराब पीने की आदत होती है, उनको भी अनिद्रा की समस्या हो सकती है। अधिक मात्रा में शराब पीने से भले ही शरीर असंतुलित हो जाता हो लेकिन ये नींद को बाधित करने का काम करता है। शराब शरीर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाने का काम करती है।
चाय और कॉफी के अधिक सेवन के कारण
आजकल की लाइफस्टाइल में देर तक जागना मानों फैशन-सा बन गया है। जो लोग जल्दी सोते हैं, उनका मजाक भी उड़ाया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अच्छी नींद न ले पाने के कारण आजकल अधिकतर लोग किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं। चाय और कॉफी यानी कैफीन की अधिक मात्रा लेने पर नींद प्रभावित होती है।
सही वातावरण न होने के कारण
नींद के लिए सभी को शांत वातावरण की जरूरत होती है। अगर सोते समय तेज आवाजें आएंगी या फिर रात में आप मोबाइल चलाओगे, तो आपकी नींद छूमंतर हो जाएगी। सोने के लिए अच्छा वातावरण चुनना बहुत जरूरी है। रात में तेज लाइट भी आपकी नींद उड़ा सकती है। आपको अच्छी नींद चाहिए, तो कुछ बातों को जरूर ध्यान रखें, जो आपकी समस्या को कम कर सके।
स्लीपिंग डिसऑर्डर के प्रकार
स्लीप डिसऑर्डर के कारण नींद की क्वालिटी, टाइमिंग और अमाउंट में समस्या होने लगती है। इस कारण से डे टाइम डिस्ट्रेस और रोजाना के कामों में दिक्कत शुरू होने लगती है।बेड में लेटने के बावजूद नींद न आना, थकान का अधिक एहसास, बार-बार करवटें बदलना, खर्राटें लेना, नींद में बातें करना आदि स्लीपिंग डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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