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कई बार होता है कि महीनों यह निशान ऐसे ही पड़ेगे। अगर आपकी बॉडी में ऐसे निशान पड़ रहे है, तो इसे इग्नोर न करें। ये खतरनाक साबित हो सकते है। जानिए काले निशान पड़ने के क्या कारण है।
विटामिन ‘के’ और ‘सी’ की कमी: इस विटामिन्स की कमी हो जाने के कारण शरीर में काले निशान पड़ जाते है। विटामिन ‘के’ खून को जमने में मदद करता है और ये हड्डियों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण घटक भी है। इस विटामिन की कमी से सामान्य रक्त जमने की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। वहीं विटामिन सी कोलोजन और अन्य घटक जो त्वचा और रक्त धमनियों में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करते हैं, उनके संश्लेषण के लिए ये जरूरी है। इसलिए विटामिन सी की कमी से नील के निशान पड़ सकते हैं।
वॉन विल्लेब्रांड बीमारी: इस बीमारी के कारण शरीर के अंदर रक्तस्राव होने की समस्या है जिसका आपके खून की जमने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में चोट लगने के बाद बहुत अधिक खून बहने लगता है। यह तब होता है जब वॉन विल्लेब्रांड नाम के प्रोटीन का रक्त में स्तर बहुत कम होता है। या फिर आपके शरीर में प्रोटीन की कमी है, तो इस समस्या का आपको सामना करना पड़ता है।
कैंसर और कीमोथेरेपी : अगर आपकी कीमोथेरेपी या आपको ब्लड कैंसर है, तो यह आपके शरीर में काले निशान पड़ जाते है। यह बीमारी होने के कारण आपकी ब्लड प्लेटलेट्स 40,000 से नीचे आ गया है, तो आपके शरीर में बार-बार इस तरह के नील के निशान दिख सकते हैं।
शरीर में पड़ रहे काले निशान को न करें इग्नोर, हो सकता है खतरनाक
कई बार होता है कि महीनों यह निशान ऐसे ही पड़ेगे। अगर आपकी बॉडी में ऐसे निशान पड़ रहे है, तो इसे इग्नोर न करें। ये खतरनाक साबित हो सकते है। जानिए काले निशान पड़ने के क्या कारण है।
हेल्थ डेस्क: आपने अक्सर देखा होगा कि शरीर में कई जगह काले निशान पड़ जाते है। तो आप सोचते है कि कहीं किसी टक्कर से लग गई होगी। सही हो जाएगी। लेकिन कई बार होता है कि महीनों यह निशान ऐसे ही पड़ेगे। अगर आपकी बॉडी में ऐसे निशान पड़ रहे है, तो इसे इग्नोर न करें। ये खतरनाक साबित हो सकते है। जानिए काले निशान पड़ने के क्या कारण है।
इस कारण पड़ जाते है काले निशान
स्किन पर चोट लगने के बाद रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचने से नील पड़ जाते हैं। इस तरह की चोट से खून रिसता है और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाता है, जिससे कि नील जैसा निशान पड़ जाता है। चोट लगने पर ये शरीर की प्रतिक्रिया होती है। मेडिकल की भाषा में इसे कन्टूशन या भीतरी चोट कहा जाता है। ये नील के निशान और भी कई कारणों से हो सकते हैं जैसे बढ़ती उम्र से लेकर पोषण की कमी के कारण और हेमोफिलिया व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के प्रभाव के कारण। जानिए और कारणों के बारें में।
बुढ़ापा: बुढ़े लोगों के हाथों के पीछे नील पड़ना एक सामान्य बात है। एक्टिनिक पर्प्युरा कहलाने वाले ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, पर्पल, और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
पोषण तत्वों की कमी: कुछ विटामिन और मिनरल की कमी के कारण ये समस्या हो जाती है। इसलिए ऐसी चीजों का सेवन करें। जिसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन तत्व हो।
थ्रोंबोफिलिआ: ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि थ्रोंबोटिक थ्रोंबोसाइटोपेनिया पर्प्यूरा (टीटीपी) या आईडियोपेथिक थ्रोंबोसाइटोपेनिक पर्प्यूरा (आईटीपी) जिनमें कि प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, इनके कारण भी शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कि नील के निशान पड़ते हैं।
हीमोफीलिया: हीमोफीलिया थ्रोम्बोफिलिया की उल्टी प्रक्रिया है। इस समस्या में भी आपके शरी में काले निशान पड़ जाते है। इस बीमारी में भी अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है क्योंकि ब्लड क्लॉटिंग नहीं हो पाती। अगर आपके शरीर में राले निशान पड़ रहे है, तो एक ये भी कारम हो सकता है।
एहलर्स-डेन्लस सिंड्रोम: इस समस्या में नील के निशान इसलिए पड़ जाते हैं क्योंकि कशिकाएं और रक्तधमनियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। इस बीमारी के मुख्य लक्षण शरीर में अत्यधिक निशान पड़ना, घाव देर से भरना, इंटरनल ब्लीडिंग या वक्त से पहले मृत्यू, भ्रूण को नुकसान आदि हैं।
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