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भारत में मानसून का ठंड से सीधा जुड़ाव होता है. ऐसे में मानसून का इस साल जल्दी लौटना ठंड पर असर डालेगा.
उत्तर भारत में पिछले तीन दिनों से बहुत कम ही देर के लिए धूप निकली है. और रह-रहकर बारिश भी हो रही है. जहां बारिश नहीं भी हो रही, वहां भी लगातार बादल छाए हुए हैं. हल्की ठंड लगने लगी है और कई लोगों ने थोड़े-बहुत मोटे कपड़े निकालने पर विचार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में कयास यह भी लग रहे हैं कि इस बार कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. आइये हम जरा इस बात की जांच कर लेते हैं कि इस बार कैसी ठंड पड़ने वाली है? लेकिन कैसी ठंड पड़ने वाली है, इसका पता करने से पहले हमें जानना होगा कि आखिर भारत में ठंड पड़ती क्यों है? तो इसके चार प्रमुख कारण हैं –
सूरज का पृथ्वी से दूर हो जाना
हम सभी जानते हैं कि धरती सूरज के चारों ओर चक्कर लगाती है. लेकिन जिस कक्षा में धरती सूरज का चक्कर लगाती है उसमें हर समय पृथ्वी की सूरज से दूरी बराबर नहीं होती. कुछ-कुछ अंडाकार (पूरी तरह से परवलयाकार) कक्षा में चक्कर लगाते हुए एक वक्त ऐसा आता है जब पृथ्वी की दूरी सूरज से बहुत ज्यादा हो जाती है. इसी समय सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है. भारत के मामले में भी ऐसा ही है. कड़ाके की ठंड के वक्त धरती तो सूरज से दूर तो होती ही है, इसके अलावा भारत के क्षेत्रों पर सूरज की किरणें भी सीधी नहीं पड़ रही होती हैं.
मानसून का लौटना
इंटर ट्रॉपिकल कंवर्जेंश ज़ोन का शिफ्ट होना
आपने ग्लोब जरूर देखा होगा. वो हमारी पृथ्वी का ही मॉडल होता है. लेकिन उसपर बहुत सी लकीरें खिंची रहती हैं. ग्लोब में जो क्षैतिज रेखाएं होती हैं, उनमें सबसे बीच वाली रेखा ग्लोब को सीधा दो भागों में बांटती है. इस रेखा को भूमध्यरेखा या ‘इक्वेटर’ कहते हैं. यह भूमध्यरेखा दक्षिणी भारत के बिल्कुल पास से होकर गुजरती है.