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नशे के सेवन को हमेशा से ही खराब माना गया है. फिर चाहे वह सिगरेट, शराब हो या अफीम, गांजा, तंबाकू और पान मसाला आदि हो. हालांकि फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों में एल्कोहल और सिगरेट को न केवल ग्लोरिफाई किया जाता है बल्कि यह भी दिखाया जाता है कि परेशान व्यक्ति इन चीजों का सेवन करता है और फिर वह सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव, साहसी और निडर होकर उभरता है और परेशानियों को झट से सुलझा लेता है. क्या ऐसा सच में होता है? क्या वास्तव में सिगरेट और शराब के सेवन से दुख-दर्द औेर तनाव कम होने के साथ ही काम करने की क्षमता बढ़ जाती है या फिर इसके उलट खराब असर पड़ता है.
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एल्कोहल या शराब का ये होता है असर – जब व्यक्ति परेशान होता है तो उसका ब्रेन काफी सतर्क रहता है. उस वक्त वह ओवर एक्टिव भी हो जाता है. रेस्टलेस फील करता है और उसकी एंग्जाइटी बढ़ जाती है. चूंकि ये चीजें प्राकृतिक होती हैं ऐसे में अगर व्यक्ति इस अवधि में नेचुरल तरीके से रहता है तो ये परेशानियां धीरे-धीरे कम होती हैं और ब्रेन अपने आप उसे मॉडरेट करता है लेकिन अगर उस स्थिति में व्यक्ति एल्कोहल या शराब लेता है तो यह ब्रेन को या ब्रेन की नसों को डिप्रेस करता है. ऐसे में कॉन्शसनेस या चेतनका स्तर काफी कम हो जाता है. उस स्थिति में भावनाओं का गुबार भी थम जाता है. जिसका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति पुरानी स्थिति से कट जाता है. उसका दर्द या दुख काफी कम हो जाता है और व्यक्ति को काफी राहत और अच्छा महसूस होता है.
**आयुर्वेदिक औषधि का नाम है- Norogi G1 Anti Addiction powder. यह आयुर्वेदिक औषधि शुद्ध जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार की गई है, जोकि पाउडर के रूप में आती है। किसी भी प्रकार का कोई स्टेरॉयड्स या केमिकल्स का इस्तेमाल इसमें नहीं किया गया है, इसलिए इस आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है। इस आयुर्वेदिक औषधि का पूरा कोर्स करने से शराबी की शराब की लत पूरी तरह छूट जाती है। वह शराब से नफरत करने लगता है और शराब पीने वालों से भी दूरी बनाने लगता। ना खुद पीता है और अपने सामने किसी को पीने देता है। हैं। आपके घर की खुशियां लौट आती हैं।**
इसके अलावा एक और चीज होती है. बहुत ज्यादा शराब लेने के बाद व्यक्ति का खुद से नियंत्रण और नेचुरल सोशल इमिटेशन खत्म हो जाता है. ऐसे में जब वह किसी से भी बात करता है तो एकदम खुलकर बात करता है. जो उसके अंदर होता है लगभग वही बाहर आता है लेकिन ये चीजें शराब का नशा उतरने के बाद परेशानी खड़ी कर देती हैं. इससे व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता पर भी फर्क पड़ता है. आमतौर पर देखा होगा कि जब कोई बहुत साहसिक या खराब काम करना होता है तो लोग एल्कोहल लेकर करते हैं, ऐसा इसलिए कि उनकी निर्णय लेने, अच्छा-बुरा समझने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है और वे काम को कर जाते हैं.
चाय के साथ सिगरेट का ऐसा रहता है असर – जहां तक चाय के साथ सिगरेट पीने की बात है तो ये दोनों चीजें एक ही दिशा में काम करती हैं. जहां निकोटिन ब्रेन को अलर्ट करता है वहीं चाय में भी निकोटिन ही होता है. वहीं पान-मसाला या तंबाकू भी इसी तरह का असर करते हैं लेकिन शराब एकदम अलग तरीके से काम करती है. ऐसे में चाय के साथ सिगरेट नुकसानदायक तो है लेकिन शराब की तुलना में कम है. डॉ. नंद कुमार कहते हैं कि सिर्फ मनोवैज्ञानिक रूप से ही नहीं बल्कि बायोलॉजिकली भी किसी भी नशे का शरीर पर काफी खराब असर पड़ता है. फिर चाहे वह शराब हो, सिगरेट हो, तंबाकू, गांजा या अफीम कुछ भी हो.
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