मैं पिछले 13 महीनों से हस्तमैथुन किए बिना रह रहा हूं. इससे दूर रहना इतना आसान भी नहीं था. लेकिन सच कहूं तो मेरी ज़िंदगी कभी भी इतनी बेहतर नहीं थी.
ये जानना अद्भुत है कि हस्तमैथुन न करने से मुझे कैसे-कैसे फ़ायदे हुए हैं.
20 से 30 साल की उम्र में मैंने पहले हफ़्तों के लिए, फिर कई महीनों के लिए हस्तमैथुन से किनारा किया है और मैं अकेला नहीं हूं.
दुनिया भर में लाखों लोग (बस पुरुष नहीं) नोफैप आंदोलन में भाग ले रहे हैं.
क्या है नोफैप आंदोलन?
नोफैप एक ऐसा आंदोलन है जो लोगों को पॉर्न ना देखने और हस्तमैथुन छोड़ने के लिए प्रेरित करता है.
जब मैं सिर्फ़ 19 साल का था तब से सोचना शुरू किया कि मुझ पर पॉर्न देखने का कैसा असर होता है.
अपनी पीढ़ी की तरह, मैं भी इच्छा होने पर पॉर्न देखते हुए बड़ा हुआ हूं.
मुझे याद है कि जब मैं 14 साल का था तब इंटरनेट पर अंत:वस्त्र तलाशते हुए मैं आपत्तिजनक तस्वीरों तक पहुंच गया था.
अपनी किशोरावस्था के आखिरी सालों में हालत ये हो गई थी कि जब भी मैं अपने कमरे में अकेला होता था तो तुरंत पॉर्न देखने लगता था.
मुझे चिंता होने लगी कि मैं पॉर्न का आदी हो गया हूं. मैं किसी हार मान चुके व्यक्ति जैसा महसूस करने लगा जो लड़कियों से मिल नहीं सकता था और इंटरनेट पर पॉर्न देखकर हस्तमैथुन करने के लिए मजबूर है.
19 साल की उम्र तक मैं कुंवारा और अकेला था. मेरे अब तक के संबंधों में से कोई भी गंभीर नहीं हुआ था और मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता था.
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‘आंखों के आगे लड़कियों की न्यूड तस्वीरें तैरती थीं’
घर पर रहना और हस्तमैथुन मुझे किसी पचड़े में पड़ने से ज़्यादा सुरक्षित तरीका लगा.
जब भी मैंने लड़कियों से बात करने की कोशिश की तो मेरे दिमाग में पिछली रात को देखी हुई लड़कियों की न्यूड तस्वीरें तैरती थीं.
मुझे पता था कि अगर उन्हें इस बारे में पता चलेगा तो वो मुझे अच्छी नज़र से नहीं देखेंगी.
मैं कई रातों तक अकेला जागता रहता. मैं सोचता रहता कि पॉर्न का मेरी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा.
मैंने अपने दोस्तों से इस बारे में बात नहीं की. हमारे दोस्तों के बीच निजी बातें साझा करने का चलन नहीं था.
मेरे 20वें जन्मदिन के ठीक बाद मैंने हस्तमैथुन बंद करने का फ़ैसला किया.
मेरी मां आध्यात्मिक किताबें पढ़ती थीं और मैं छिप-छिपकर उनकी किताबें पढ़ने लगा. मैंने ध्यान करना भी शुरू किया तब मुझे यौन क्रियाकलापों में संयम बरतने से आत्मविश्वास बढ़ने के बारे में पत
कुंडलिनी जागरण से हस्तमैथुन का संबंध
ये एक प्राचीन धारणा कुंडलिनी से जुड़ा हुआ है. मैं अपनी मां से ये सब कुछ पूछने से पहले काफ़ी शर्मिंदा था.
लेकिन मैंने इस बारे में ज़्यादा जानने का फ़ैसला किया.
शुरुआत में मुझे लगा कि मैं अपनी पूरी ज़िंदगी के लिए हस्तमैथुन छोड़ दूंगा.
तो जब मैंने ये तय करने के एक महीने बाद एक बार फिर हस्तमैथुन किया तो मैं ख़ुद से काफी निराश हुआ.
लेकिन इसके बाद मैंने ख़ुद के लिए असली लक्ष्य बनाने शुरू किए.
नोफ़ैप आंदोलन 90 दिनों तक परहेज़ करने की वकालत करता है.
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मैंने पहली बार इसके बारे में एक टेड टॉक में सुना था जो पॉर्न के दिमाग़ पर असर के बारे में थी.
इस टेड टॉक में पॉर्न की तुलना ड्रग्स लेने से की गई थी. इसके साथ ही युवा लड़कों में पॉर्न देखने के चलते गुप्तांग का काम करना बंद करने से जुड़ी समस्याएं सामने आती हैं.
ऐसे कई लोग हैं जो नोफ़ैप से जुड़े हैं क्योंकि वह अपने गुप्तांग को ख़राब होने से बचाने के लिए थे. लेकिन मैं इस कारण से वहां नहीं पहुंचा था.
इंटरनेट पर अपनी तरह सोचने वाले ऐसे लोगों से मिलना एक बेहतर अनुभव है
एनर्जी हो जाती है खत्म
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि ठंडा पानी पीने से बॉडी में मेटाबॉलिज्म स्लो काम करने लगते हैं और शरीर में ज्यादा काम करने की क्षमता नहीं रह जाती है। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि ठंडा पानी शरीर से फैट को रिलीज नहीं कर पाता है, जिस वजह से शरीर सुस्त रहता है और एनर्जी लेवल डाउन हो जाता है।
अगर आपके कब्ज की समसया है तो आपको बिलकुल ही ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। ठंडा पानी पीने से आपकी कब्ज की समस्या और भी बढ़ सकती है। दरअसल ठंडा पानी पेट में पहुंच कर मल को कठोर बनाता है और जब आप वॉशरूम में लू के लिए जाती हैं तो आपको दिक्कतों का सामना करना होता है। इसलिए अगर आपको कब्ज की समस्या पहले से है तो आप ठंडे पानी को हाथ भी न लगाएं और अगर आपको यह समस्या नहीं है तो कोशिश करें कि न ज्यादा ठंडा और न ज्यादा गर्म पानी पीएं।