ग्लूकोज हमारे खानपान से मिलता है। इसके स्तर को और सही जगह भेजने का काम पैनक्रियाज द्वारा बनाए गए हार्मोन ‘इंसुलिन’ से किया जाता है। जब इस ‘इंसुलिन’ की मात्रा कम हो जाती है तब ग्लूकोज खून में बढ़ना शुरू हो जाता है। यह अवस्था डायबिटीज कहलाती है। तब इससे पीड़ित व्यक्ति को इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है ताकि खून में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य रह सके। डायबिटीज दो तरह की होती है पहला टाइप वन (जिसमें इंसुलिन शरीर में बनता ही नहीं इसलिए हर दिन बाहर से इंजेक्शन के द्वारा लिया जाता है) और दूसरा टाइप टू (जिसमें थोड़ा बहुत इंसुलिन बनता है या इसकी कमी होती है)। दोनों ही अवस्था किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य नहीं है। डायबिटीज के कई लक्षण हैं जिससे कोई भी व्यक्ति पहले ही सतर्क हो सकता है।
− बहुत प्यास लगना।
− बहुत भूख लगना।
− लगातार पेशाब आना।
− बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस करना।
− अचानक वजन का कम होना।
− अचानक शरीर पर घाव बनना और इसे ठीक होने में समय लगना।
− त्वचा में रूखापन और खुजली, जननांगों में खुजली।
− धुंधला दिखाई देना।
अगर इसमें से कोई भी लक्षण आपको दिखे तो अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। अपने ग्लूकोज के स्तर को जांचने में आपको एक मिनट से भी कम समय लगेगा।
डायबिटीज को नजरअंदाज करना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यह शरीर में कई जटिलताएं बढ़ा सकता है जैसे हार्ट की बीमारी या स्ट्रोक, अंधापन या रेटिनोपैथी, किडनी का खराब होना और पैरों की समस्या।
डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिशएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं। इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज का लंबे समय तक इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो सकता है।
स्वस्थ किडनी खून में मौजूद गंदगी साफ कर पूरे शरीर तक पहुंचाती है पर हाई ब्लड शुगर किडनी को नुकसान पहुंचाता है। इससे प्रभावित मरीज को डायलिसिस या किडनी ट्रासप्लांट करानी पड़ती है। मधुमेह के मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा पैरों के घाव और अल्सर का होता है। ठीक से इलाज न किया जाए, तो पैरों को खोने का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे लाखों लोग हैं, जो इस बीमारी से लड़ रहे हैं पर हार नहीं मानी। इन लोगों की शिकायत इंसुलिन के इंजेक्शन को लेकर है। बार−बार इंजेक्शन लेना किसे पसंद होता है। खासकर तब जब कोई बच्चा डायबिटीज का मरीज हो। जल्द ही चिकित्सा विज्ञानी ऐसी दवाई बाजार में लाने वाले हैं, जो डायबिटिक मरीजों के लिए वरदान होगी। बार−बार शरीर में सुई लेने की बजाय उन्हें विकल्प के रूप में ओरल स्प्रे या नेजल स्प्रे मिलेगा, जिससे शरीर में इंसुलिन की मात्रा सही रहेगी
एक हेल्दी लाइफस्टाइल डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है। हेल्दी खाएं, शारीरिक मेहनत करें, वजन कंट्रोल में रखें, वॉकिंग और व्यायाम करें। नियमित रूप से डॉक्टर से जांच करवाते रहें। आयुर्वेद में खाने की जितनी कड़वी चीजें हैं, वे डायबिटीज के मरीजों में शुगर और फैट को नियंत्रण में रखने में सहायक होते हैं। जैसे जौ, बाजरा, हल्दी, मेथी वगैरह। डायबिटीज के मरीजों को इलायची और अदरक भी खाने की सलाह दी जाती है। डायबिटीज से हार मत मानिए बल्कि डायबिटीज को हराइए। मौत की खामोश आहट को पहचानिए।
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