24 और 25 मार्च को रखा जाएगा आमलकी एकादशी व्रत, हिंदू कैलेंडर के मुताबिक साल की आखिरी एकादशी है ये
बुधवार, 24 मार्च को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे रंगभरी और आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही, माता अन्नपूर्णा के लिए भी पूजन करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार आमलकी एकादशी बुधवार को होने से इस दिन गणेशजी की भी विशेष पूजा जरूर करें। जानिए आमलकी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
आमलकी एकादशी पर किसी मंदिर में आंवले का पौधा भी लगा सकते हैं। आंवले की पूजा करें। देवी दुर्गा की भी पूजा इस दिन करनी चाहिए। दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
बुधवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद भगवान सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाकर दिन की शुरुआत करें। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें।
एकादशी पर घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। इसके लिए शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन व्रत भी करना चाहिए। व्रत करने वाले भक्त को एक समय फलाहार करना चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को द्वादशी तिथि (25 मार्च) पर किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को धन और अनाज का करें।
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अगर आप बड़ी पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो एकादशी पर भगवान विष्णु को केले का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। एकादशी तिथि पर सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें शाम के समय तुलसी को छूना नहीं चाहिए।
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