दिन-ब-दिन ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसमें हड्डियों में दर्द होना एक सामान्य लक्षण है, जिसकी पहचान शुरुआत में नहीं होती है। इस रोग होने का सबसे बड़ा कारण व्यायाम को लेकर लापरवाही और गलत खान-पान माना जाता है। इसलिए आजकल ये समस्या युवाओं में ज्यादा बढ़ रही है।
चिकित्सकों के अनुसार इस रोग में मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव होने पर हड्डियां भी टूट सकती है। ये ही कारण है कि वृद्धावस्था में ज्यादा वजन की चीज उठाने की मनाही होती है। अगर आपके भी कमर, घुटने, गर्दन या शरीर के किसी भी भाग के हड्डियों में हल्का दर्द होना शुरू हो गया है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए, वरना आपकी हड्डियां टूट सकती हैं। आइए आपको ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में खास जानकारी देते हैं और हड्डियों को कैसे मजबूत बनाया जा सकता है वो भी बताते हैं
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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
हड्डियों का कमजोर होना ऑस्टियोपोरोसिस कहलाता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे कोशिकाओं का निर्माण होना कम हो जाता है। इसके अलावा शरीर में मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन डी और खनिज पदार्थों की कमी होने पर भी हड्डियां कमजोर होने लगती है।
जब हड्डियां ज्यादा कमजोर हो जाएं
चिकित्सकों के अनुसार जब रीढ़ की हड्डी संकुचित हो जाती है तब व्यक्ति की हाईट थोड़ी सी कम हो जाती है। ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा अगर आपके पीठ या गर्दन में दर्द होता है तब भी डॉक्टर से जरूर सलाह लें। हड्डियों का अधिक कमजोर हो जाए फ्रैक्चर होने पर भी पहचाना जा सकता है। दरअसल, जब ऑस्टियोपोरोसिस काफी गंभीर हो जाता है तो मामलू सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो सकता है। इतना ही नहीं, इस दौरान छींक आने से भी फ्रैक्चर होने की संभावना रहती है।
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ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण
ये एक ऐसा रोग है जिसका लक्षण शुरुआती दिनों में नहीं दिखता है। रीढ़, कूल्हे या कलाई की हड्डी फ्रैक्चर होने पर ही इसका पता चलता है। विशेषज्ञों के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में कुछ खास लक्षणों के आधार पर जाना जा सकता है। जैसे- हाथों के पकड़ने की क्षमता में कमी होना, दांतों पर मसूढ़ों की पकड़ कमजोर होना, नाखूनों का कमजोर होना आदि ऑस्टियोपोरोसिस के प्रमुख लक्षण होते हैं।
रोग से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतें?
ऑस्टियोपोरोसिस रोग से बचाव करने के लिए आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती है, वरना आपकी हड्डियां कमजोर होने के साथ कभी भी टूट सकती है। इसलिए ध्यान रखें कि आपका वजन काबू में रहे, शरीर में मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन डी और खनिज पदार्थों की कमी न हो, शराब या धूम्रपान का सेवन न करें, 3 महीने से अधिक कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं का सेवन न करें, लिवर या किडनी संबंधित समस्या होने पर भी ये रोग हो सकता है। 45 आयु होने के बाद एक बार बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट जरूर करवाएं। मोर्निंग वॉक और एक्सरसाइज को भी अपने लाइफस्टाइल में शामिल करें। इसके अलावा अगर आपको हड्डियों में दर्द महसूस होता है या कमजोरी लगती हैं तो एक ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
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शरीर में जब खून की कमी होती है, तो ये समस्या महिलाओं को उत्पन्न होती है। लेकिन अगर आप इस दौरान दही और गुड़ खाते हैं तो इससे शरीर में खून बढ़ता है, और इस बीमारी से आपका बचाव होता है। इसके अलावा अगर आप बढ़ते वजन से भी परेशान हैं, तो भी गुड़ और दही का मेल आपकी काफी मदद कर सकते हैं।
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