पितृपक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है. पितृपक्ष में पितर देव स्वर्गलोक से धरती पर परिजनों से मिलने आते हैं. जो व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण नहीं करता है, उसे पितृदोष का सामना करना पड़ता है. ये दोष धन, सेहत और अन्य कई तरह की बाधाओं को आमंत्रित करता है. श्राद्ध 2020 में पितरों की प्रसन्नता और उनकी नाराजगी को लेकर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं इस दौरान आपको कौन सी बड़ी गलतियां करने से बचना चाहिए.
1. पितृपक्ष के दौरान शुभ कार्य जैसे- विवाह, गृहप्रवेश आदि से बचना चाहिए. नए सामान की खरीदारी से भी परहेज करें. इसके अलावा कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए.
2. पितृपक्ष में लहसुन और प्याज से बना भोजन करने से बचें. इस दौरान कांच के बर्तनों का इस्तेमाल न करें. पितृपक्ष के दौरान लोहे के बर्तन का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए. इन दिनों पत्तल पर स्वयं और ब्राह्राणों को भोजन करवाना श्रेष्ठ माना गया है.
3. शास्त्रों के मुताबिक, पितृपक्ष की 15 दिन की अवधि में पितृ किसी भी रूप में आपके घर आ सकते हैं. इसलिए, हमें दहलीज पर आए किसी व्यक्ति या पशु का अनादर नहीं करना चाहिए. आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन कराएं और उसका सम्मान करें.
4. पितृपक्ष में कुछ चीजों को खाने से सख्त परहेज करना चाहिए. इस दौरान चना, दाल, जीरा, काला नमक, लौकी और खीरा, सरसों का साग खाने से बचें.
5. पितृपक्ष के दिनों में मांस, मछली कभी न खाएं. श्राद्ध में तामसिक भोजन की बजाए सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. पितृ पक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का सख्ती से पालन करना चाहिए.
6. किसी विशेष स्थान पर पितरों को श्राद्ध करने से बड़ा लाभ होता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि गया, प्रयाग या बद्रीनाथ में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. विशेष स्थान पर श्राद्ध ना करने वाले लोग घर के आंगन में किसी भी पवित्र स्थान पर तर्पण या पिंड दान कर सकते हैं.
7. श्राद्ध से जुड़े रिवाज शाम, रात, सुबह या अंधेरे के वक्त नहीं किया जाना चाहिए. इसे सदैव दिन के उजाले में ही करें जब सूर्य का प्रकाश चारों ओर बिखरा रहता है.
8. पितृपक्ष के दौरान पान का सेवन न करें. धूम्रपान या मदिरापान से भी बचें. श्राद्ध कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को अपने नाखून नहीं काटने चाहिए. इसके अलावा उसे दाढ़ी या बाल भी नहीं कटवाने चाहिए.