माता-पिता में से किसी को भी है डायबिटीज, तो आप भी अभी से जीवनशैली में कर लें ये सुधार

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डायबिटीज की समस्या को विशेषज्ञ गंभीर ‘साइलेंट किलर’ बीमारियों के रूप में वर्गीकृत करते हैं, क्योंकि इसके कारण शरीर के कई अंगों को समय के साथ क्षति पहुंचने का खतरा हो सकता है। डायबिटीज वाले रोगियों में किडनी, लिवर और आंखों की समस्या होना काफी सामान्य माना जाता है, इस तरह की दिक्कतों से बचे रहने के लिए सभी लोगों को ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह दी जाती है।

डायबिटीज का खतरा आनुवांशिक भी होता है, यानी कि अगर आपके माता-पिता में से किसी भी को डायबिटीज है तो आपमें भी इसके विकसित होने का जोखिम हो सकता है, ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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यदि आपमें भी डायबिटीज का आनुवांशिक जोखिम है तो अभी से ही बचाव के उपायों का पालन करके आप भविष्य में खुद को इस बीमारी के जोखिम से सुरक्षित रख सकते हैं। चूंकि लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण युवाओं में भी इस गंभीर रोग का खतरा बढ़ता जा रहा है ऐसे में इससे सुरक्षित रहने के उपाय करना बहुत आवश्यक हो जाता है। आइए जानते हैं कि यदि आपमें मधुमेह का आनुवांशिक जोखिम है तो इस खतरे से बचे रहने के लिए किन बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए?

बॉडी चेकअप कराते रहना जरूरी – मधुमेह को मुख्यरूप से लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिज्म से संबंधित बीमारी के रूप में जाना जाता है। ऐसे में यदि आपमें इसका आनुवांशिक खतरा है तो लाइफस्टाइल को ठीक रखना बहुत जरूरी हो जाता है। अपने जोखिम कारकों को समझते हुए हर छह महीने पर पूरे शरीर की जांच कराते रहें, जिससे किसी भी तरह की पनपती समस्या को बढ़ने से पहले ही पहचाना जा सके। ऐसा करके आप डायबिटीज के जोखिमों से बचे रह सकते हैं। वार्षिक रूप से शारीरिक और आंखों की जांच के अलावा, वर्ष में दो से चार मधुमेह की जांच कराना सुनिश्चित करें।

आहार पर विशेष ध्यान रखें – डायबिटीज के संभावित जोखिम से बचे रहने के लिए सभी लोगों को आहार को संतुलित और पौष्टिक बनाए रखना जरूरी होता है। भोजन में हरी सब्जियों, करेला, मौसमी फलों को शामिल करें। चीनी का सेवन कम से कम करें, संभव हो तो न करें। इसके अलावा समय पर भोजन करना सुनिश्चित करना भी बहुत आवश्यक माना जाता है। दो मील के बीच में 3-4 घंटे से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

नियमित व्यायाम बहुत आवश्यक – यदि आप डायबिटीज के शिकार हैं या नहीं भी हैं, दोनों ही स्थितियों में नियमित रूप से व्यायाम की आदत बनाना बहुत आवश्यक है। योग-व्यायाम, शारीरिक निष्क्रियता को कम करते हैं जिससे डायबिटीज का जोखिम कम हो सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि रोजाना व्यायाम करने वालों की तुलना में, व्यायाम न करने वालों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने का जोखिम अधिक होता है।

तनाव-नींद पर दें ध्यान – तनाव और नींद की कमी, दोनों ही स्थितियां आपमें मधुमेह विकसित होने का कारण बन सकती हैं। सभी लोगों को रात में 6-8 घंटे की निर्बाध नींद लेना बहुत आवश्यक होता है, यह तनाव को भी कंट्रोल करने में आपके लिए सहायक है। इसके अलावा यदि आपमें चिंता-तनाव की समस्या अधिक रहती है तो योग-मेडिटेशन को प्रयोग में लाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। तनाव-नींद पर ध्यान देकर डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है।

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ankit1985

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