इमली वृक्ष में पाये जाने वाले पोषक तत्व
इमली में साइट्रिक अम्ल, टार्टरिक अम्ल, पोटेशियम-13% बाइटट्रेट तथा अंशतः मेलिक एसिड एवं शर्करा, प्रोटीन-5% ऊर्जा-12% कार्बोहाइड्रेट-40% कुल वसा-3% कोलेस्ट्रोल-0% सोडियम-2% कैल्शियम-7% कॉपर-9.5% लौह तत्व-35% फास्फोरस-16% मैग्नीशियम-23% तथा इमली में अघुलनशील तत्व पाये जाते हैं।
बवासीर में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
रक्तार्श (बवासीर) में इमली के पुष्पों का रस 15-20 ग्राम दिन में दो तीन बार पिलाने से बवासीर में शीघ्र लाभ होता है। इमली के बीजों की भस्म को एक से दो ग्राम तक दही के साथ चटाने से बवासीर में लाभ होता है।
सफ़ेद दाग में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
सफेद दाग में इमली के बीजों की मींगी और बावची दोनों को बराबर मात्रा लें, पीसकर इमली लकड़ी से लगाने से सफेद दाग में लाभ होता है।
वीर्यवर्धक में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
वीर्यवर्धक में इमली को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें, छिलके निकले सफेद बीजों को सूखाकर बारीक चूर्ण रख लें, एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो तीन बार दूध के साथ सेवन करने वीर्य का पतलापन दूर होता हैं। इमली के बीजों को भूनकर, छिलका उतारकर चूर्ण कर, बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर लगातार 10 दिन तक सुबह-शाम सेवन करने से वीर्य का पतलापन, पेशाब की जलन तथा मूत्र-दाह दूर होती है। इमली के चीए 10 ग्राम को जल में चार दिन तक भिगोकर छील लें तथा उसमें गुड़ दो भाग मिलाकर चने समान गोलियां बनाकर रख लें। रात्रि में सोते समय एक-दो गोली का सेवन करने से वीर्य स्तम्भन होता है।
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वीर्य का शीघ्र पतन में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
वीर्य का शीघ्र पतन में इमली के चीए 10 ग्राम को जल में चार दिन तक भिगोकर चिल तेन तथा उसमें गुड़ दो भाग मिलाकर चने समान गोलियां बनाकर रख लें, रात्रि में सोते समय एक दो गोलियों का सेवन करने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
लूक का असर में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
लुक का असर इमली के फल के गूदे को ठंडे पानी में पीसकर, मुंडे हुए सिर पर लगाने से लू का असर और बेहोशी मिटती है। पकी हुई इमली को पानी में मल उस पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर कुछ देर तक पोछने-फेरने से लू का असर मिटता है।
प्रमेह में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
प्रमेह में इमली 120 ग्राम इमली के बीजों को 250 ग्राम दूध में भिगो दें, तीन दिन के बाद छिलके उतारकर, स्वच्छ कर पीस लें। सुबह-शाम 6 ग्राम की मात्रा में गोदुग्ध या जल के साथ लेने पर प्रमेह रोग दूर होता है।
हैजा में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
पुरानी इमली का एक किलो गूदा दुगने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातः काल आग पर दो तीन उबाल देने के बाद आग से नीचे उतारकर, मसलकर छान ले और बाद में दो किलो शक्कर मिलाकर चाशनी बना लें। गर्म चाशनी को छानकर, शीतल करके बोतल में भर लें, तीन-तीन घंटे के अंतर से 20 से 40 ग्राम तक की मात्रा सेवन करने से हैजा में शीघ्र लाभ होता है।
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सूजन में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
शोथ (सूजन) में इमली के पत्तों की पुल्टिस बनाकर सूजन पर बांधने से पीड़ा मिट जाती है तथा सूजन बिखर जाती है।
दाद में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
दाद में इमली के बीज को नीबू के रस में पीसकर लेप करने से दाद नष्ट हो जाती है।
फोड़े-फुंसी में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
फोड़े, फुन्सियां में इमली के 15 ग्राम पत्तों को गर्म करके उनकी पुल्टिस बनाकर बांधने से फोड़ा पककर शीघ्र फूट जाता है। इमली के बीजों की पुल्टिस बांधने से फुंसिया नष्ट हो जाती है।
प्रवाहिका में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
प्रवाहिका (पेचिस) में इमली की पत्तियों के रस को लाल किये हुए लोहे से छोंककर 15-20 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन चार बार कुछ दिनों तक सेवन करने से पेचिस में लाभ होता है।
पेट दर्द में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
उदरशूल (पेट दर्द) में इमली की छाल को सैंधा नमक के साथ एक मिटटी के बर्तन में रखकर जला लें, सफेद राख को 120 मिलीग्राम की मात्रा में अजीर्ण और पेट दर्द में लाभ होता है।
भूख न लगना में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
अरुचि (भूख न लगना) में पकी इमली का पानी पीने से भूख बढ़ती है आँतों के घाव मिटते हैं।
दस्त में इमली के फायदे एवं सेवन विधि:
अतिसार (दस्त) में इमली के 10-10 ग्राम पत्तों को 350 ग्राम पानी में पकाकर चतुर्थाश शेष काढ़ा पिलाने से दस्त नष्ट हो जाता है। इमली के पत्तों के 5-10 ग्राम रस थोड़ा गर्म करके पिलाने से भी दस्त व खुनी दस्त नष्ट हो जाता है:
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