आयुर्वेदिक उपचार – कई छोटे-छोटे रोग होते हैं केसर से ठीक जानें इसके फायदे

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केसर के प्रयोग तो आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में केसर के अनेक इस्तेमाल हैं। आयुर्वेद के अनुसार, कई छोटे-छोटे रोग हैं, जिन्हें केसर के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। केसर आपके लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता  है, बता रही हैं प्राची गुप्ता

आयुर्वेद में केसर के अनेक गुण बताए गए हैं। केसर में कई ऐसे औषधीय तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। केसर खाद्य पदार्थ और पेय (जैसे दूध) को रंगीन और सुगंधित करता है। प्रतिदिन 5 से 20 पंखुड़ी केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है।

चेहरे का रंग निखारे
केसर त्वचा को खूबसूरत बनाता है। इसके उपयोग से चेहरे पर निखार आता है और रंग भी गोरा होता है। चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए नारियल के तेल या देसी घी के साथ केसर को पीसकर चेहरे पर लगाया जाता है। दूध की मलाई के साथ केसर को चेहरे पर मलने से रंगत निखरती है।

पेट दर्द में दे आराम
पेट में दर्द होने पर 5 ग्राम भुनी हींग, 5  ग्राम केसर,  2 ग्राम कपूर,  25 ग्राम भुना जीरा,  5  ग्राम काला नमक, 5 ग्राम सेंधा नमक, 100  ग्राम छोटी हरड़, 25 ग्राम वायविडंग के बीज, 25 ग्राम अजवाइन को एक साथ पीसकर इस चूर्ण को सुरक्षित रख लें। पेट दर्द होने पर इस चूर्ण में से आधा चम्मच गर्म पानी के साथ सेवन करें, लाभ होगा।

नर्वस सिस्टम को बनाए बेहतर 
दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए केसर अत्यंत लाभकारी है। इसके सेवन से पैरालिसिस, फेशियल पैरालिसिस जैसे मस्तिष्क संबंधी रोग, डायबिटीज के कारण होने वाली समस्याएं, लगातार बने रहने वाला सिरदर्द, हाथ-पैर की सुन्नता आदि में दूध, चीनी और घी के साथ केसर का सेवन करने से लाभ होता है।

आंखों के लिए फायदेमंद
आज के दौर में आंखों की समस्या होना एक आम बात है। अगर आप लगातार कंप्यूटर, मोबाइल, टीवी देखते हैं, तो  आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ता है। इसके लिए 10 केसर के रेशे दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। अगर असली चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाया जाए, तो आंखों की रोशनी बढ़ती है और सिर दर्द ठीक होता है। इससे नकसीर में लाभ होता है।

प्रसव के बाद केसर
प्रसव के बाद गर्भाशय शोधन के लिए केसर को अजवाइन के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। केसर जीरा, गुड़ और अजवाइन को देसी घी में मिलाकर सेवन करने से माता का दूध शुद्ध होता है और दूध अधिक मात्रा में बनता है। अगर प्रसव के बाद माता को 5 चम्मच कच्चे नारियल के दूध के साथ केसर के 10 रेशे में 2 चम्मच शहद मिलाकर सेवन कराया जाए तो काफी लाभ होता है।

हृदय रोग में फायदेमंद
केसर का सेवन करने से हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं। यह लो बीपी को नियंत्रित करता है। धमनियों में ब्लॉकेज को ठीक करता है। इसके सेवन से बढ़ा हुआ वजन कम  होता है। इसके लिए 5  ग्राम अर्जुन की छाल, 2 ग्राम  गिलोय, 2 ग्राम मुलेठी, 2 ग्राम पुष्करमूल, 2 ग्राम हल्दी, 2 ग्राम सौंफ, 2 छोटी इलाइची, 1 ग्राम कलौंजी तथा एक चौथाई ग्राम केसर को कूटकर एकसाथ मिलाकर डेढ़ कप दूध तथा डेढ़ कप पानी में हल्की आंच पर उबालें। जब यह एक कप रह जाए, तो छान कर गुनगुना होने पर पिएं।

सर्दी-जुकाम-बुखार में रामबाण
सर्दी-जुकाम तथा बुखार में केसर रामबाण है। अगर छोटे बच्चे को सर्दी-जुकाम हो, तो इसके लिए बच्चे को दूध में मिलाकर केसर का सेवन कराएं। अदरक के रस में केसर और हींग को मिलाकर बच्चे या बड़े की छाती पर लगाने से लाभ होता है।

इन्हें भी आजमाएं 
जिन लोगों को मूत्र विकार हो, उन्हें पुनर्नवा के काढ़े के साथ केसर का सेवन करना चाहिए।
घाव भरने के लिए केसर को घी या शहद के साथ मिलाकर घाव वाले स्थान पर लगाएं।
माता के दाने (खसरा) होने पर केसर को अजवाइन एवं बड़ी इलाइची के छिलके के साथ उबालें और फिर हल्का गुनगुना करके रोगी को पिलाएं, इससे लाभ होगा।
केसर के सेवन से भोजन ठीक से पचता है और पाचन तंत्र ठीक होता है। यह आंतों में होने वाले संक्रमण को भी ठीक करता है। इसके सेवन से दिल मजबूत होता है और शरीर में खून बढ़ता है। यकृत या लिवर में सूजन होने पर पेट पर इसका लेप करना चाहिए।

बरतें सावधानी
अधिक मात्रा में इसका सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है।
अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से पीठ में दर्द, आंखों में जलन, उलटी होना, पेशाब में जलन आदि समस्या हो सकती है।

 

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बालों में रूसी की परेशानी हर किसी को होती है। सर्दियों में खासकर पानी कम पीने से यह होता है। इसलिए थोड़ी सी बीयर  में लैवेंडर के तेल को रुई में लेकर आपनी स्कैल्पस में रगड़ दें। इसके बाद बालों में भांप लें और 10 मिनट छोड़ दें। बालों को तेज गर्म पानी से न धोएं। हल्के गर्म पानी से धोकर सीरम लगाएं।

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इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन – आईसीएसआई के आगमन ने गंभीर पुरुष बांझपन के उपचार में एक बड़ा बदलाव लाया है. यह बांझ दंपतियों को गर्भवती होने की अनुमति देता है. इस प्रक्रिया में, एक छोटी सी सुई के साथ एक शुक्राणु को अंडे में इंजेक्ट किया जाता है. एक बार अंडा फर्टिलाइज होने के बाद इसे महिला पार्टनर के गर्भाशय में डाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया का उपयोग तब भी किया जाता है जब आपके पास वीर्य में कोई शुक्राणु नहीं होता है जो एक ब्लॉक या वृषण विफलता के कारण होता है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है. इस विधि के लिए सर्जरी द्वारा अंडकोष या एपिडीडिमिस से भी शुक्राणु लिए जा सकते हैं.
वृषण शुक्राणु निष्कर्षण -यह तकनीक एज़ोस्पर्मिया (कोई शुक्राणु) के पीछे के कारण का निदान करने में कुशल है. यह शुक्राणु निष्कर्षण के लिए पर्याप्त ऊतक भी प्राप्त करता है.

डाइट बेहतर करें, धूप में रहने दें 
रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिली। विटामिन डी की कमी पूरा करने के लिए इमरजेंसी में सप्लीमेंट दे सकते हैं मगर उससे अच्छा है कि बच्चों की डाइट बेहतर करें। सबसे अधिक जरूरी धूप है। कम से कम 45 मिनट उसे रोजाना सुबह की धूप दें। धूप में ही सुबह होम वर्क कराएं और उसे खेलने दें।
– प्रो. अरुण कुमार आर्या, बाल रोग विभाग जीएसवीएम

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इस तरह हुआ रिसर्च
-120 बच्चे शामिल किए
-0-5 साल के बच्चे रिसर्च में लिए गए
-03 साल तक बच्चों की मॉनीटरिंग
-60 बच्चे दिखने में सामान्य स्वस्थ थे
-60 बच्चे कुपोषित और अति कुपोषित थे

यह रहा रिजल्ट
-30 फीसदी सामान्य दिखने वाले बच्चों में विटामिन डी की मात्रा बेहद कम
-विटामिन डी की मात्रा 70 फीसदी कुपोषित बच्चों में सामान्य से बेहद न्यूनतम स्तर पर मिली
-90 फीसदी अति कुपोषित यानी सीवियर एक्यूट मेलन्यूट्रीशन यानी सैम बच्चों में कम थी विटामिन डी

ankit1985

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