ग्रीन-टी न सिर्फ दिल, बल्कि दिमाग की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के हालिया शोध की मानें तो इसमें मौजूद कैफीन ‘एडिनोसिन’ का उत्पादन बाधित करती है। ‘एडिनोसिन’ एक अहम न्यूरोट्रांसमिटर है, जो यह निर्धारित करता है कि व्यक्ति कब सुस्त या तरोताजा महसूस करेगा। इसकी अधिकता से तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने और अल्जाइमर पनपने के संकेत मिले हैं।
शोध दल में शामिल के मुताबिक ग्रीन-टी में ‘एल-थियानिन’ नाम का एक यौगिक भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का स्तर घटाने और फील गुड हार्मोन ‘सेरोटोनिन’ का स्त्राव बढ़ाने में इसे खासा असरदार पाया गया है। यह भी देखा गया है कि कैफीन और ‘एल-थियानिन’ मिलकर याददाश्त, तर्क शक्ति व एकाग्रता में इजाफा कर सकते हैं। चूंकि, ग्रीन-टी में कॉफी के मुकाबले कैफीन का स्तर काफी कम होता है, इसलिए इसका सेवन उसके साइडइफेक्ट को भी दूर रखता है।
रक्तचाप घटाने में कारगर – रिंग ने ग्रीन-टी को रक्तचाप घटाने में भी बेहद असरदार करार दिया। उन्होंने 2016 में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें हफ्ते में कम से कम छह कप ग्रीन-टी पीने वालों के हाइपरटेंशन का शिकार होने का खतरा 33 फीसदी कम मिला था।
कोलेस्ट्रॉल काबू में रहेगा – शोधकर्ताओं ने बताया कि ग्रीन-टी में ‘कैटेचिन’ नाम का एंटीऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह खाने में मौजूद कोलेस्ट्रॉल को सोखने की शरीर की क्षमता घटाता है। यही वजह है कि जो लोग दिन में दो कप ग्रीन-टी पीते हैं, उनमें हार्ट अटैक का खतरा आधा हो जाता है।
हड्डियां-मांसपेशियां मजबूत होंगी – ग्रीन-टी हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए भी अहम है। इसमें मौजूद फ्लैवेनॉयड जहां हड्डियों-मांसपेशियों में क्षरण की शिकायत दूर रखते हैं, वहीं फाइटोएस्ट्रोजन ऊतकों को नुकसान नहीं पहुंचने देते। मांसपेशियों का विकास सुनिश्चित करने में भी उनकी अहम भूमिका है।