रोजाना 10-15 मिनट का समय निकालकर दमा के मरीज जरूर करें ये 4 आसन, मिलता है बहुत लाभ

डाइट के साथ ही अस्थमा के मरीजों को अपनी लाइफस्टाइल में योग को भी शामिल करना चाहिए। बहुत हैवी एक्सरसाइज की जगह गिने-चुने योगा अभ्यासों के माध्यम से भी अस्थमा अटैक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। तो आइए जानते हैं कौन से योग इसके लिए हैं फायदेमंद।

सुखासन

सुखासन सबसे आरामदायक मुद्रा होती है अगर आपके घुटने, पीठ और कमर में किसी तरह का कोई दर्द नहीं है तो। प्रदूषित वातावरण में इसका अभ्यास न करें। सुखासन में बैठकर अपनी सांसों पर फोकस करें और दिमाग को शांत करें। लंबी गहरी सांस भरें और धीरे-धीरे इसे बाहर निकालें। ऐसा कम से कम 5-6 बार जरूर करें। अपनी क्षमतानुसार आप इसे घटा-बढ़ा भी सकते हैं। इससे दिमाग शांत रहता है, ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है। तनाव और चिंता अस्थमा अटैक का बड़ी वजह होती है तो इस आसन के अभ्यास से दोनों दूर होते हैं।

अर्धमत्येंद्रासन

इस आसन से फेफड़ों में खुल कर ऑक्सीजन जाती है जिससे अस्थमा अटैक का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इसके लिए पैरों को आगे की तरफ सीधे कर बैठ जाएं। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी कूल्हों के नीचे ले आएं। अब पैर के तलवे को दाहिनी जांघ के साथ लगा दें। अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़ कर खड़ा कर लें और बायें पैर की जांघ से ऊपर ले जाते हुए जमीन के ऊपर करें। बाएं हाथ को दाहिने पैर के घुटने के बगल में दबा लें और दाहिने पैर का सबसे निचला हिस्सा पकड़ें। दांया हाथ पीठ के पीछे से घुमा कर बायें पैर की जांघ को पकड़ें। चेहरे को दांयी ओर घुमाएं इतना कि ठोड़ी और बांया कंधा एक सीध में हो जाएं।

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शवासन

शवासन तनाव दूर करने का बहुत ही बेहतरीन आसन है। अस्थमा अटैक को कंट्रोल करने में हमारी तनावमुक्त लाइफस्टाइल बहुत अहम भूमिका निभाती है। बहुत ही आसान आसन है ये। पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। हाथों को जांघों के बगल में इस प्रकार रखें की हथेलियां आसमान की ओर रहें। आंखें बंद कर आराम से सांस लें और छोड़ें।

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भुंजगासन

ये आसन पेट से लेकर कमर और यहां तक कि अस्थमा मरीजों के लिए भी वरदान समान है। भुजंगासन बॉडी में ब्लड और ऑक्सीजन लेवल को सुधारता है। इसे करने के लिए पेट के बल लेट जाएं। हाथों को अपने चेस्ट के पास रख लें। लंबी गहरी सांस भरते हुए सिर को ऊपर की ओर उठाएं। इस स्थिति में कोहनियां मुड़ेंगी नहीं, सीधी रहेंगी। ऊपर 10-15 सेकेंड होल्ड करें। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए नीचे की तरफ आ जाएं। इसका अभ्यास भी अपनी क्षमतानुसार ही करें।

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