अगर बरकत चाहते हैं तो ये 13 काम करें.

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बरकत को हिन्दी में प्रचुरता मान सकते हैं। कुछ लोग इसे प्रभु की कृपा और कुछ इसे लाभ मानते हैं। कुछ इसका अर्थ समृद्धि या सौभाग्य से लगाते हैं। अंग्रेजी में इसे abundance कहते हैं।

‘बरकत’ अर्थात वह शुभ स्थिति जिसमें कोई चीज या चीजें इस मात्रा में उपलब्ध हों कि उनसे आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी वह बची रहे अर्थात अन्न इतना हो कि घर के सदस्यों सहित अतिथि आए तो वह भी खा ले। धन इतना हो कि आवश्यकताओं की पूर्ति के बावजूद वह बचा रहे।
आओ हम जानते हैं कि बरकत बनी रहने के ऐसे कौन से 13 अचूक उपाय हैं जिनको करने से आपके घर और आपकी जेब की बरकत बनी रहे। भरपूर रहे मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा की कृपा।
दान दें : प्रकृति का यह नियम है कि आप जितना देते हैं वह उसे दोगुना करके लौटा देती है। यदि आप धन या अन्न को पकड़कर रखेंगे तो वह छूटता जाएगा। दान में सबसे बड़ा दान है अन्नदान। निम्नलिखित उपाय करने से घर में अन्न के भंडार भरे रहते हैं।
हिन्दू धर्म : गाय, कौए और कुत्ते का रहस्य जानिए…
गाय, कुत्ते, कौवे, चींटी और पक्षी के हिस्से का भोजन निकालना जरूरी है। हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे पहले गाय की रोटी बनाई जाती है और अंत में कुत्ते की। इस तरह सभी का हिस्सा रहता है। इस तरह के दान को पंच यज्ञ में से एक वैश्वदेवयज्ञ भी कहा जाता है। 5 यज्ञ इस प्रकार हैं- ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, वैश्वदेवयज्ञ, अतिथि यज्ञ।
अतिथि यज्ञ से अर्थ मेहमानों की सेवा करना व उन्हें अन्न-जल देना। अपंग, महिला, विद्यार्थी, संन्यासी, चिकित्सक और धर्म के रक्षकों की सेवा-सहायता करना ही अतिथि यज्ञ है।
अग्निहोत्र कर्म करें : हिन्दू धर्म में बताए गए मात्र 5 तरह के यज्ञों में से एक है देवयज्ञ जिसे अग्निहोत्र कर्म भी कहते हैं। इससे जहां देव ऋण ‍चुकता होता है, वहीं अन्न और धान में बरकत बनी रहती है।
अग्निहोत्र कर्म दो तरह से होता है। पहला यह कि हम जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है। दूसरा तरीका यज्ञ की वेदी बनाकर हवन किया जाता है।
भोजन के नियम :
* भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें।
* खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है।

* भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं।

* थाली में कभी जूठन न छोड़ें।
* भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें।
* रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।
* भोजन करने से पूर्व देवताओं का आह्वान जरूर करें।
* भोजन करते वक्त वार्तालाप या क्रोध न करें।
* परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करें।
* भोजन करते वक्त अजीब-सी आवाजें न निकालें।
* रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।
* भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।
* सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।
(डॉ. नुस्खे )
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ankit1985

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