बेहतर स्वास्थ्य के लिए साग-सब्जियों के साथ अनाज का सेवन भी जरूरी होता है। अनाज का सेवन शरीर को जरूरी पोषण देने के साथ-साथ कई बीमारियों से बचाए रखने में मदद सकता है। वहीं, जब बात अनाज की हो, तो रागी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वहीं, कई अध्ययनों में सेहत के लिए रागी को फायदेमंद पाया गया है। यही वजह है कि इस लेख में हम रागी खाने के फायदे बताने जा रहे हैं। यहां आप विभिन्न शारीरिक समस्याओं पर रागी के लाभ जान पाएंगे। साथ ही इस लेख में रोगी का उपयोग किन-किन तरीकों से किया जा सकता है, यह भी बताया गया है। इसके अलावा, लेख में रागी के नुकसान भी बताए गए हैं।
विषय सूची
रागी क्या है?
रागी, भारत के साथ-साथ अफ्रीका की विभिन्न जगहों में उगाया जाने वाला एक मुख्य अनाज है। इसका वैज्ञानिक नाम एलुसीन कोरकाना है। यह भारत के प्रमुख अनाजों में से एक है। इसका उत्पादन भारत में सबसे अधिक कर्नाटक राज्य में किया जाता है। इसे कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है जैसे – हिंदी में रागी/मंडुआ / मंगल और तमिल में केझवारगु। वहीं, कन्नड और तेलुगु में भी इसे रागी ही कहा जाता है। यह फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे कई जरूरी पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। लेख में आगे इसके स्वास्थ्य फायदों को विस्तार से बताया गया है।
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आगे विस्तार से जानिए स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े रागी के लाभ।
रागी के फायदे
लेख के इस भाग में विभिन्न शारीरिक समस्याओं पर रागी खाने के फायदे क्रमवार बताए गए हैं। वहीं, इस बात का ध्यान रखें कि रागी का सेवन किसी भी शारीरिक समस्या का इलाज नहीं है। इसका सेवन केवल शारीरिक समस्याओं से बचाव के लिए और एक स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में किया जा सकता है।
1. एंटीऑक्सीडेंट
रागी के फायदे की अगर बात की जाए, तो यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भी भरपूर होता है। दरअसल, रागी में टैनिन, पॉलीफेनोल्स और फ्लेवनॉइड्स जैसे कई फेनॉलिक कंपाउंड पाए जाते हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रदर्शित कर सकते हैं। वहीं, एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव फ्री रैडिकल की वजह से होने वाले हृदय रोग, एजिंग की समस्या और गठिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। ऐसे मेंएंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थों में शामिल रोगी का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है।
2. एंटी-इंफ्लेमेटरी
सूजन से जुड़ी समस्याओं में रागी खाने के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, रागी में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव पाया जाता है और यह प्रभाव सूजन से जुड़ी समस्याओं (जैसे मधुमेह, गठिया, एलर्जी, हृदय रोग आदि) के लिए उपयोगी हो सकता है। ऐसे में सूजन के प्रभाव को कम करने के लिए रागी को दैनिक आहार का हिस्सा बनाया जा सकता है।
मधुमेह की समस्या की अगर बात की जाए, तो रागी को डायबिटीज डाइट में शामिल किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध में इसके में एंटी-डायबिटिक गुण के विषय में पता चलता है, जो टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं, यह एक लो ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ है, जो ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। ऐसे में रागी को डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जा सकता है।
कैंसर से बचाव में रागी कुछ हद तक मददगार हो सकता है। दरअसल, रागी में कुछ जरूरी एमिनो एसिड जैसे – मेथिओनाइन, सिस्टीन और लायसिन मौजूद होते हैं, जो कैंसर से बचाव में सहायक हो सकते हैं। इतना ही नहीं, इसमें मौजूद डायटरी फाइबर भी कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है।
रागी के फायदे की अगर बात की जाए, तो यहवेट लॉस डाइट का हिस्सा भी बन सकता है। इससे जुड़े एक शोध में जिक्र मिलता है कि रागी का उपयोग वजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। दरअसल, इसमें ट्रिप्टोफैन नामक एमिनो एसिड पाया जाता है, जो भूख को कम कर वजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, शोध में जिक्र मिलता है कि रागी एक हाई फाइबर युक्त आहार है, जो मोटापे के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, रागी के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी आवश्यक है।
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6. कोलेस्ट्रॉल के लिए रागी
रागी के फायदे की बात की जाए, तो यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी सहायक हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा पदार्थ है, जो शरीर की कोशिकाओं में मौजूद होता है। मनुष्य के शरीर को सही तरीके से काम करने के लिए कोलेस्ट्रॉल की भी आवश्यकता होती है। हालांकि, अगर शरीर मेंकोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा हो जाए, तो हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल कम करने के डाइट में रागी को शामिल करना उचित विकल्प हो सकता है। इसमें मौजूद फायटिक एसिड और डाइटरी फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
7. प्रोटीन
शरीर के लिए कई पोषक तत्व जरूरी होते हैं और प्रोटीन भी उन्हीं आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। मांसपेशियों और हड्डियों को बनाने और उन्हें स्वस्थ रखने में प्रोटीन की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा, प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम भी करता है। ऐसे में शरीर को जरूरी प्रोटीन देने के लिए अपनेप्रोटीन युक्त डाइट में रागी को शामिल कर सकते हैं। रागी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है, जिस कारण इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।
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रागी का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, रागी में आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हार्ट अटैक के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके भी इनसे होने वाले हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। ऐसे में हृदय को स्वस्थ रखने के लिए रागी को आहार में शामिल किया जा सकता है।
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आधा चम्मच शहद में एक चुटकी इलायची पाउडर और कुछ बूंद नींबू के रस की बूंदे डालिए। इस सिरप का दिन में 2 बार सेवन करें। आपको खांसी-जुकाम से काफी राहत मिलेगी।
रागी के फायदे सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं, बल्कि त्वचा के लिए भी हैं। दरअसल, रागी में मौजूद फेरुलिक एसिड यूवी विकिरणों की वजह से होने वाली त्वचा की क्षति से बचाव कर सकता है। इतना ही नहीं, इसमें एंटी-एजिंग गुण भी मौजूद होता है, जिस कारण यह वक्त से पहले त्वचा पर एजिंग के प्रभाव को कम कर सकता है। रागी का उपयोग फेस मास्क के तौर पर किया जा सकता है।
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पौष्टिक तत्वों की जानकारी
अब जानते हैं रागी के पौष्टिक तत्वों के बारे में।
रागी के पौष्टिक तत्व
रागी के फायदे तो आप जान ही चुके हैं। अब बारी आती है रागी के पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करने की। नीचे जानिए रागी में मौजूद पोषक तत्वों के बारे में:
पोषक तत्व | मात्रा प्रति 100 ग्राम |
---|---|
प्रोटीन | 7.7 ग्राम |
फैट | 1.8 ग्राम |
फाइबर | 15-22.0 ग्राम |
कार्बोहाइड्रेट | 75.0 – 83.3 ग्राम |
फास्फोरस | 130-250.0 मिलीग्राम |
पोटेशियम | 430-490 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 78-201 मिलीग्राम |
कैल्शियम | 398 मिलीग्राम |
सोडियम | 49 मिलीग्राम |
जिंक | 2.3 मिलीग्राम |
आयरन | 3.3-14.89 मिलीग्राम |
मैंगनीज | 17.61-48.43 मिलीग्राम |
कॉपर | 0.47 मिलीग्राम |
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अब जानते हैं रागी के उपयोग से जुड़ी बातें।
रागी का उपयोग
रागी के फायदे जानने के बाद जाहिर सी बात है कि आप इसका उपयोग भी जरूर करना चाहेंगे। ऐसे में लेख के इस भाग में हम रागी के उपयोग से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। तो कुछ इस प्रकार करें रागी का उपयोग :
सेवन का तरीका : आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण लें और उसे शहद या दूध के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाने के बाद इसका सेवन करें.
अर्जुन पेड़ की सफेद छाल का पाउडर बनाकर उसे दूध में मिलाकर रात में सेवन भी कामेच्छा बढ़ाने में मददगार है। यह पाउडर किसी भी आयुर्वेदिक दवा की दुकान पर उपलबध होता है।
तमाम औषधीय गुणों से युक्त नीम के पत्ते, छाल, टहनी और फलों का कई तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। नीम के पत्तों में अनेकों औषधीय गुण पाए जाते हैं। नीम के पत्तों का इस्तेमाल त्वचा संबंधी विकार जैसे एलर्जी, दाद और कुष्ठ रोग में भी किया जाता है। नीम के पत्ते आंख, नाक, भूख से जुड़ी समस्या, आंतों के कीड़ों की दिक्कत, ह्रदय से जुड़ी बीमारियों और बुखार जैसी स्थिति में बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। नीम के पत्तों के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं।