हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं जिन्हें भगवान श्री गणेश की तिथि माना जाता है. अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की तिथि विनायक चतुर्थी और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की तिथि संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. अधिक मास में आने वाली चतुर्थी का और ज्यादा महत्व होता है. भगवान गणेश की कृपा से कुछ विशेष उपायों द्वारा बच्चे अपनी गलत आदत बहुत जल्द छोड़कर सही रास्ते पर आ जाते हैं. इस बार की विनायक चतुर्थी रविवार, 20 सितंबर को पड़ रही है.
कैसे करें विनायक चतुर्थी पर गणेश पूजन
सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके लाल रंग के वस्त्र धारण करें और सूर्य भगवान को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें. भगवान गणेश के मंदिर में एक जटा वाला नारियल और मोदक प्रसाद के रूप में लेकर जाएं. उन्हें गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पण करें तथा ॐ गं गणपतये नमः मंंत्र का 27 बार जाप करें तथा धूप दीप अर्पण करें.
दोपहर पूजन के समय अपने घर मे अपनी सामर्थ्य के अनुसार पीतल, तांबा, मिट्टी अथवा सोने या चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा स्थापित करें. संकल्प के बाद पूजन करके श्री गणेश की आरती करें तथा मोदक बच्चों के बाट दें.
रुके हुए धन प्राप्ति के लिए पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनकर गणेशजी की पूजा करें. भगवान गणेश को दूर्वा को बांधकर माला बनाकर अर्पित करें. साथ ही उन्हें शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं फिर “वक्रतुण्डाय हुं” मन्त्र का 54 बार जाप करें. धन लाभ की प्रार्थना करें थोड़ी देर बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें या किसी निर्धन व्यक्ति को दें धन की समस्याएं दूर हो जाएंगी. ऐसा लगातार पांच विनायक चतुर्थी पर करें आपको आपका रुका हुआ धन जरूर मिलेगा.
बाधा और संकटो के नाश के लिए उपाय
सुबह के समय पीले वस्त्र धारण करके भगवान गणेश के समक्ष बैठें उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं. अपनी उम्र के बराबर लड्डू रखें फिर एक एक करके सारे लड्डू चढ़ाएं और हर लड्डू के साथ “गं” मन्त्र जपते रहें. इसके बाद बाधा दूर करने की प्रार्थना करें और एक लड्डू स्वयं खा लें और बाकी लडडू बांट दें. भगवान सूर्यनारायण के सूर्याष्टक का गणेश जी के सामने 3 बार पाठ करें.
बच्चों को बुद्धि का वरदान
भगवान गणपति बुद्धि और समझदारी के देवता हैं,. इनकी पूजा उपासना करके कोई भी अत्यंत तीव्र बुद्धि और विद्या की प्राप्ति कर सकता है. भगवान गणपति को 5 मोदक और 5 लाल गुलाब के फूल तथा पांच हरी दूर्वा की पत्तियां अर्पण करें. एक गाय के घी का दीपक जलायें और ॐ बुद्धिप्रदाये नमः मन्त्र का 108 बार जप करें. एक मोदक प्रसाद के रूप में घर लाएं और बच्चों को खिलाएं तथा बाकी मोदक छोटे बच्चों में बांट दें.
बच्चों को मिलेगी भरपूर सफलता
सुबह के समय अपने घर की पूर्व दिशा की ओर भगवान गणपति की पूजा अर्चना 108 दूर्वा की पत्तियों से करें. गाय के घी का दीपक जलाकर वक्रतुंडाय हुं मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप के बाद पूजा के स्थान में रखे हुए जल का छिड़काव इन्ही दूर्वा की पत्तियों से सारे घर में करें.
आयुर्वेद के अनुसार, खाना सही ढंग से पचने के लिए पाचन अग्नि का संतुलित रहना बहुत जरूरी है. आयुर्वेद में अग्नि मूल तत्व माना जाता है, इस पाचन अग्नि की तुलना ज्वलित अग्नि के साथ की जा सकती है. अगर अग्नि कम हो जाए, तो खाना पचने में समय लगता है, और अगर अग्नि ज्यादा हो जाए तो खाना समय से जल्दी पच जाता है.
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