इरेक्टाइल डिसफंक्शन ऐसी समस्या है जिसमें लिंग संभोग के लिए पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाता। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। कभी कभार तो किसी दवा के दुष्प्रभाव से भी ऐसा हो सकता है। इसे स्तंभन दोष भी कहते हैं।
इसके अलावा कई तरह की बीमारियों जैसे वस्क्यूलर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, मधुमेह या प्रोस्टेट संबंधी उपचार या सर्जरी से यह समस्या पैदा हो सकती है। तकरीबन 75 प्रतिशत मर्दो में यह जटिल कारणों से होता है। एक अध्ययन के अनुसार 40 से 70 साल के आयु वर्ग में करीब 60 प्रतिशत पुरुषों में कुछ हद तक यह समस्या पाई जाती है।
1. नियमित रूप से घूमना शुरू करें : हार्वर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक रोजाना 30 मिनट की वॉक से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 41 प्रतिशत कम हो जाता है। औसत व्यायाम करने से भी मोटापे के शिकार मर्दो में यह समस्या कम हो जाती है।
2. सही आहार लें : मैसाच्युसेट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जियों, अनाज और मछली जैसे पौष्टिक आहार और कुछ मात्रा में रेड मीट एवं रिफाइंड ग्रेंस से इस जोखिम को कम किया जा सकता है। विटामिन बी12 और विटामिन डी की भारी कमी से भी यह समस्या पैदा हो जाती है। रोजाना मल्टीविटामिन और फोर्टिफाइड फूड से प्रौढ़ों में भी यह समस्या दूर हो जाती है।
3. वस्क्यूलर हेल्थ पर भी ध्यान रखिये : उच्च रक्तचाप, उच्च ब्लड शुगर, उच्च कॉलेस्ट्रॉल और उच्च ट्रिगलीसेराइड्स हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे हृदयाघात और मस्तिष्काघात भी हो सकता है। इसका नतीजा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के रूप में भी सामने आता है। HDL यानी अच्छे कॉलेस्ट्रॉल की कमी और मोटापा बढ़ना भी इसके कारण हैं। अपने डॉक्टर से मिलें और जानें कि कहीं कोई वस्क्यूलर प्रणाली तो प्रभावित नहीं है ताकि आपका दिल, दिमाग ठीक रहे और सेक्स स्वास्थ्य बना रहे।
4. फिटनेस पर ध्यान दें : दुबला पतला रहने का प्रयास करें। कमर की मोटाई अगर 40 इंच तक पहुंच जाए तो ऐसे पुरुषों में 32 इंच कमर वाले मर्दो के मुकाबले इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है। लिहाजा वजन नियंत्रण में रखें। मोटापे से वस्क्यूलर विकार और मधुमेह का जोखिम बढ़ता है और ये इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रमुख कारण हैं। अतिरिक्त फैट पुरुषों के हार्मोंस को प्रभावित करते हैं और यह भी समस्या की जड़ हो सकता है।
5. मांसपेशियों का व्यायाम करिए : मतलब डोले बढ़ाने से नहीं है। कूल्हे मजबूत रहेंगे तो लिंग में सख्ती लाने में मदद मिलती है और रक्त प्रवाह उसी ओर बना रहता है। एक ब्रिटिश परीक्षण के दौरान तीन महीने की रोजाना कमर एवं कुल्हों की एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक और जीवनशैली में परिवर्तनों जैसे धूम्रपान छोड़ना, वजन कम रखना, शराब का सेवन सीमित करना आदि से बहुत अच्छे नतीजे मिलते हैं।
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