कोरोना वायरस महामारी के बीच बर्ड फ्लू के रूप में एक और खतरा सामने आया है। बर्ड फ्लू के मामलों को देखते हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान, केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में तो बर्ड फ्लू की पुष्टी भी चुकी है। ऐसे में लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या बर्ड फ्लू का कोई इलाज है? और इसके लक्षण कैसे होते हैं। आइए, जानते हैं इनके जवाब-
बर्ड फ्लू का इलाज क्या है?
ज्यादातर मामलों में देखा जाए, तो मनुष्यों में बर्ड फ्लू एक गंभीर समस्या बनकर उभरता है, जिसका इलाज किसी भी हालत में घर में सम्भव नहीं है। बर्ड फ्लू होने पर अस्पताल में तुरंत इसका इलाज कराना बेहद जरूरी है। अधिकतम मामलों में आईसीयू की जरुरत होती है। क्योंकि, व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। बर्ड फ्लू के इलाज में आमतौर पर एंटीवायरल ओसेल्टामिविर का इस्तेमाल होता है।
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कोरोना वायरस की तरह हैं कुछ लक्षण
बर्ड फ्लू से सतर्क रहने और समय पर इसका इलाज लेने के लिए सबसे जरूरी है कि समय पर इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। इस मुख्य लक्षणों में बुखार आना, बैचेनी होना, शरीर में दर्द होना, सर्दी और गले में खराश होने जैसी समस्याएं बर्ड फ्लू के शुरुआती लक्षणों में से एक हैं। कई बार पेट में दर्द की समस्या, सीने में दर्द और पेट संबंधी समस्याएं जैसे दस्त की समस्या भी हो सकती है। अगर आपको कुछ ऐसी समस्याएं समझ आती हैं तो अपना टेस्ट जरूर कराएं। गंभीर लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ और निमोनिया जैसी समस्या के पीछे का कारण बर्ड फ्लू हो सकता है।
बर्ड फ्लू जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा और एवियन फ्लू के नाम से भी जाना जाता है एक वायरल बीमारी है, जो एच5एन1 (H5N1) वायरस के कारण होती है। एम्स के द्वारा जारी एफएक्यूस (FAQs) के अनुसार यह वायरस आमतौर पर पक्षियों में ही पाया जाता है।
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जंगली पक्षी अपनी आंतों में इस वायरस को लिए हर जगह घूमते हैं, लेकिन वे इससे बीमार नहीं होते। जबकि यह वायरस उन जंगली पक्षियों से और पक्षियों खास करके मुर्गी और बत्तख में फैलता है और उन्हें बीमार कर देता है।क्या इंसानों को भी है इस फ्लू से खतरा?
एम्स के एफएक्यूस (FAQs) के अनुसार आमतौर पर बर्ड फ्लू का यह वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करता था, परंतु 1997 से इंसानों में बर्ड फ्लू के वायरस से संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं। माना जाता है कि इंसानों में बर्ड फ्लू के संक्रमण का ज्यादातर खतरा संक्रमित मुर्गे या मुर्गी और दूषित सतहों के सीधा संपर्क में आने से होता है।
फिलहाल अभी तक इस वायरस के इंसानों से इंसानों में फैलने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
क्या ऐसे में नहीं खाना चाहिए चिकन?
दिसंबर 2005 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और यूनाइटेड नेशंस फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) के द्वारा जारी एक बयान के अनुसार अगर चिकन और मुर्गों के अन्य उत्पादों को अच्छे से पकाया जाए,तो वे उत्पाद हमारे खाने के लिए बिल्कुल सुरक्षित हो जाते हैं।
चिकन को पकाते हुए रखें ध्यान
वायरस से बचने के लिए सभी उत्पादों को खाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें पहले 70 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक आंच पर पकाएं। मांस को तब तक पकाएं जब तक मांस का एक भी टुकड़ा लाल न बचे और उसका कच्चापन भी पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।
साथ ही यह भी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि कोई भी संक्रमित जीवित पक्षी खाद्य श्रृंखला में गलती से भी प्रवेश ना कर पाए। अगर ऐसा होता है तो वायरस सक्रिय हो जाएगा और फिर यह सभी के लिए खतरा बन सकता है।
ये हो सकते हैं बचाव के उपाय
बर्ड फ्लू से बचाव के लिए सबसे उचित तरीका है कि जब तक यह वायरस सक्रिय है तब तक आप चिकन आदि पोल्ट्री उत्पादों का कम से कम सेवन करें। अगर आपको इन उत्पादों का सेवन करना भी है तो आप इन तरीकों को आजमा सकते हैं।
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1 पोल्ट्री फार्म में से कच्चे मांस या कच्चे अंडे के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में से मुर्गी के कच्चे अंडे ना खाएं।
2 पके हुए और तैयार खाद्य पदार्थों को दूषित होने से बचाने के लिए कच्चे मांस से अलग रखें।
3 एक चॉपिंग बोर्ड या एक ही चाकू का उपयोग ना करें।
4 पके हुए और कच्चे मांस को एक साथ ना पकड़े और बीच-बीच में अपने हाथों को धोते रहें।
5 खाना बनाते समय केवल नरम और उबले हुए अंडे का ही प्रयोग करें।
6 कोशिश करें कि अगर आप कोई भी पोल्ट्री प्रोडक्ट का सेवन कर रहे हैं, तो उसे 70 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक आंच पर जरूर पकाएं।
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