जो इमोशन इंसान को डराते हैं, उससे बचने की कोशिश करना मानव का स्वभाव है। कौन जान-बूझकर दर्द भरे अनुभवों से गुजरना चाहता है? सिर्फ उन लोगों को छोड़कर जो भीतर छिपे डर की ओर देखना ही नहीं चाहते हैं। ऐसा लंबे समय तक करने से डर मन के भीतर घर बना लेता है।
इनमें मुख्य रूप से कई स्ट्रेस देने वाले ऐसे कारण शामिल होते हैं जिसकी वजह से जीवन में अंतहीन भटकाव आने लगते हैं। अंत में लोग इनसे हार मानकर उन चुनौतियों को स्वीकार करना भी छोड़ देते हैं, जिनके चलते जिंदगी में ग्रोथ और खुशियां आने वाली थीं।
कोई भी इंसान डर से हमेशा के लिए छिप नहीं सकता है। इंसान खुद को डर से कितना भी दूर रखना चाहे, चाहें इसके लिए वो कोई भी प्रयास क्यूं न करे। लेकिन मन के भीतर छिपा डर ठीक उसी समय निकलकर बाहर आ जाता है जब उसे भावनात्मक सहारे की जरूरत सबसे ज्यादा होती है।
लेकिन अच्छी बात ये है कि डर को दूर करने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि उसका सामना किया जाए। जैसे ही इंसान डर के सामने डटकर खड़ा हो जाता है। डर का भूत आपके दिमाग के खास हिस्से पर स्ट्राइक करना बंद कर देता है। वह इंसान की भावनाओं और फैसलों पर काबू करने की अपनी क्षमता को खो बैठता है।
इसलिए इस आर्टिकल में मैं डर को काबू करने के 6 आसान तरीकों बारे में जानकारी दूंगा। ये उपाय एंग्जाइटी और फोबिया से निपटने में भी मदद कर सकते हैं। इन तरीकों को अपनाकर आप भी शानदार जिंदगी को जीने की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं।
डर दूर करने और जिंदगी जीने के उपाय
अगर कोई इंसान खुद को एंग्जाइटी और खासतौर पर किसी फोबिया का शिकार पाता है तो, तुरंत ही थेरेपिस्ट से संपर्क करें। इसके अलावा कुछ ऐसे सुझाव हैं जिन्होंने बीते कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाखों-करोड़ों लोगों की मदद की है। लोगों ने इन उपायों को अपनाकर अपने डर को जीता है, आप भी ऐसा कर सकते हैं।
रोज डर का सामना करें
रोज 2-3 मिनट तक डर के सामने शांति से बैठें। लंबी गहरी सांस लें और बार-बार खुद से कहें, ”सब ठीक है।” ये सुनने में बच्चों जैसी हरकत लग सकती है। लेकिन यकीन जानिए ये काम करती है। मनुष्य की भावनाओं में समुद्र की तरह ज्वार-भाटा आना सामान्य बात है।
पहली बार ऐसा करते समय कई लोगों को अजीब से अनुभव भी हो सकते हैं। जैसे आपको लग सकता है कि ये 2-3 मिनट खत्म क्यों नहीं हो रहे हैं। बार-बार आपको उलझन हो सकती है। हाथ-पैर में पसीना आना, चक्कर आना, गला सूखना आदि भी हो सकता है।
लेकिन इस पीरियड के बीत जाने के बाद मन को इनाम दें। उस एक्टिविटी को करें जो आपको बहुत पसंद है। इस पीरियड का अच्छी तरह से आनंद लें। कुछ ही दिनों में आप जान जाएंगे कि डर अब वैसा नहीं रहा, जैसा पहले हुआ करता था।
अपनी भावनाओं को लिखने की कोशिश करें
कुछ लोगों को किसी स्थान पर जाने से डर लगता है। जब भी किसी ऐसी जगह पर जाएं जहां पर जाना या किसी का सामना करना बुरा लगता है तो, उसकी लिस्ट बना लें। अगर वहां पर मौजूद किसी चीज से डर लग रहा है तो उसे भी इसमें जोड़ लें। बाद में तसल्ली से बैठकर उन चीजों को पढ़ने की कोशिश करें। आपको महसूस होगा कि वो तो डर की कोई वजह असल में थी ही नहीं।
एंग्जाइटी को खुद पर हावी न होने दें
खुद को बार-बार यकीन दिलाना बहुत जरूरी है कि एंग्जाइटी दिमाग के दरवाजे पर लटकता हुआ ताला है। ये ताला दिमाग पर लगने के बाद सोचने-समझने की क्षमता भी समाप्त हो जाती है।
सिर्फ यही नहीं, ऐसे काम जिन्हें करना बाएं हाथ के खेल जैसा होता है, वो भी कठिन लगते हैं। ऐसे में बेहतर है कि एंग्जाइटी के नाम चिट्ठी लिखी जाए। चिट्ठी में लिखें, डियर एंग्जाइटी, मैं तुमसे अब और नहीं डरता हूं। अब कौन सा नया सबक बचा है, जो तुम मुझे सिखाना चाहती हो?”
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