चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्मदिन मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 17 अप्रैल बुधवार को मनाया जायेगा।
विकास के प्रतीक
महावीर जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो जैन समुदाय के लोगों का सबसे प्रमुख पर्व माना जाता है। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार में लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ। उनके बचपन का नाम वर्धमान था जो उनके जन्म के बाद से राज्य की तीव्र गति से तरक्की के चलते दिया गया। जैन ग्रंथों के अनुसार 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के निर्वाण प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। उन्होंने ही अहिंसा परमो धर्म: का संदेश दुनिया भर में फैलाया। जैन धर्म के अनुयायी मानते हैं कि वर्धमान ने 12 वर्षों की कठोर तप कर अपनी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी, इसीलिए उन्हें जिन, मतलब विजेता कहा गया। दीक्षा लेने के बाद भगवान महावीर ने कठिन दिगम्बर चर्या को अंगीकार किया और निर्वस्त्र रहे, परंतु इस बारे कुछ विवाद रहा है क्योंकि श्वेतांबर संप्रदाय के अनुसार महावीर दीक्षा के बाद कुछ समय ही निर्वस्त्र रहे। उन्होंने केवल ज्ञान की प्राप्ति दिगम्बर अवस्था में की। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान महावीर अपने पूरे साधना काल के दौरान मौन रहे थे।
पांच सिद्धांत
मोक्ष पाने के बाद, भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत लोगों को बताए जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाने वाले बताये जाते हैं। ये पांच सिद्धांत इस प्रकार हैं, पहला अहिंसा, दूसरा सत्य, तीसरा अस्तेय, चौथा ब्रह्मचर्य और पांचवा व अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह। इसी तरह किंवदंती है कि महावीर जी के जन्म से पूर्व उनकी माता जी ने 16 स्वप्न देखे थे जिनके स्वप्न का अर्थ राजा सिद्धार्थ द्वारा बतलाया गया है।
महारानी त्रिशला के स्वप्न और उनके अर्थ
1- त्रिशला ने स्वप्न में चार दाँतों वाला गज देखा सिद्धार्थ द्वारा जिसका अर्थ बताया गया कि यह बालक धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करेगा।
2- वृषभ, जिसका रंग अत्यन्त सफ़ेद था इसका अर्थ है की बालक धर्म गुरु होगा और सत्य धर्म का प्रचारक होगा।
3- सिंह का अर्थ बालक अतुल पराक्रमी होगा।
4- सिंहासन पर स्थित लक्ष्मी जिसका दो हाथी जल से अभिषेक कर रहे है, का अर्थ बालक का जन्म के बाद देवों द्वारा सुमेरु पर्वत पर ले जाकर अभिषेक किया जाएगा।
5- दो सुगंधित पुष्प मालायें इस स्वप्न का अर्थ है कि बालक यशस्वी होगा।
6- पूर्ण चन्द्रमा का अर्थ सब जीवों को आनंद प्रदान करेगा।
7- सूर्य का अर्थ अंधकार का नाश करेगा।
8- दो स्वर्ण कलश का अर्थ निधियों का स्वामी होगा।
9- मछलियों का युगल का अर्थ अनन्त सुख प्राप्त करेगा।
10- सरोवर का अर्थ अनेक लक्षणों से सुशोभित होगा।
11- समुद्र का अर्थ केवल ज्ञान प्राप्त करेगा।
12- स्वप्न में एक स्वर्ण और मणि जड़ित सिंहासन का अर्थ बालक जगत गुरु बनेगा।
13- देव विमान का अर्थ स्वर्ग से अवतीर्ण होगा।
14- नागेन्द्र का भवन का अर्थ बालक अवधिज्ञानी होगा।
15- चमकती हुई रत्नराशि का अर्थ बालक रत्नत्रय, सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र धारण करेगा।
16- निर्धूम अग्नि के स्वप्न में दिखने का अर्थ है कि कर्म रूपी इन्धन को जलाने वाला होगा। जैन ग्रन्थों की मानें तो जन्म के बाद देवों के राजा, इन्द्र ने सुमेरु पर्वंत पर ले जाकर बालक महावीर का क्षीर सागर के जल से अभिषेक किया था।
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