श्रीकृष्ण के कहने पर भीष्म पितामह ने बताए थे स्वस्थ्य जीवन के सूत्र, जो हर इंसान को अपनाना चाहिए श्रीकृष्ण के कहने पर धर्म को ध्यान में रखते हुए भीष्म पितामह ने राजधर्म, मोक्षधर्म और आपद्धर्म आदि का मूल्यवान उपदेश बड़े विस्तार के साथ दिया। उन्होंनेअपने उपदेश में जो बातें बताई थीं उन बातों का पालन आज के समय में भी किया जा सकता है।
ये उपदेश उन्होने तब दिया जब वो बाणों की शय्या पर लेटे हुए थे और युधिष्ठिर ने उनकी लंबी उम्र व स्वस्थ जीवन के रहस्य जानने की प्रार्थना की।
आज के समय में हर कोई चाहता है कि वह अपने जीवन में कभी बीमार न हो हमेशा स्वास्थ्य जीवन व्यतीत करे। लेकिन आज के तनाव भरी और भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में जिंदगी छोटी हो गई है। ऐसे में अगर आप महाभारत के भीष्म पितामह के बताए गए सूत्रों का पालन करें तो लंबी आयु पा सकते हैं। तो आइे जानते हैं भीष्म पितामह से स्वास्थ्य जीवन के सूत्र।
महाभारत में भीष्म पितामह ने ये उपदेश दिया
1. मन को वश में रखना।
2. घमंड नहीं करना।
3. बढ़ती हुई इच्छाओं को रोकना।
4. कड़वी बातें सुनकर भी उतर नहीं देना।
5. मार खाने पर भी शांत व सम रहना।
6. अतिथि व लाचार को आश्रय देना।
7. नियमपूर्वक शास्त्र पढ़ना व सुनना।
8. दिन में नहीं सोना।
9. स्वयं आदर की इच्छा न रखकर दूसरों को आदर देना।
10. क्रोध के वशीभूत नहीं रहना।
11. स्वाद के लिए नहीं स्वास्थ्य के लिए भोजन करना।
एता बुद्धिं समांस्थय जीवितत्यं सदा भवेत् ।
जीवन् पुण्यमवाप्नोति पुरुषो भद्रमश्नुते।।
भीष्म पितामह उक्त श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि पुण्य का संचय करना जरूरी होता है। लेकिन जो व्यक्ति जीवित रहता है वही पुण्य का संचय करता है। इससे आयु में वृद्धि होती है। इसलिए कभी भी जीवन का परित्याग नहीं करना चाहिए। यहां पितामह भीष्म ने यह बताया है कि जीवन से निराश नहीं होना चाहिए और आत्महत्या का विचार कभी मन में नहीं लाना चाहिए।
यथा यथैव जीवेद्धि तत्कर्तव्यमहेलया।
जीवितं मरणाच्छ्रेयो जीवन्धर्ममवाप्नुयात्।।
कहते हैं कि जीवन को टिकाए रखने के लिए जो भी करना पड़े वह करना चाहिए। मरने से जीना अच्छा होता है। इसलिए जीने के लिए जो भी करना पड़े वह करना ही चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि सद्कर्म हों। इससे धर्म भी मिल जाएगा और जीवन भी अच्छा चलता है। तो अगर लंबी आयु चाहते हैं तो खराब से खराब परिस्थिति में भी जीने की आस न छोड़ें।
आचाराल्लभते ह्यायुराचाराल्लभते श्रियम्।
आचारात्कीर्तिमाप्नोति पुरुष: प्रेत्य चेह च।।
भीष्म पितामह बताते हैं कि आचार से मनुष्य को लंबी आयु मिलती है। इससे ही मनुष्य को संपत्ति भी प्राप्त होती है। पितामह कहते हैं अच्छे आचार विचार से ही व्यक्ति इस लोक और परलोक में निर्मल कीर्ति प्राप्त करता है। इसलिए व्यक्ति को लंबी आयु पाने के लिए अपने आचरण को शुद्ध रखना चाहिए।
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